Book Title: Tirth Saurabh
Author(s): Atmanandji Maharaj
Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba

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Page 164
________________ तब हमें अचरज होता है। लेकिन उसी समय सामने एक भारतीय नारी शाकाहारी डिश की Order देती है और भारतीय युवक को जब समझाती है तब वह पछताता है और शाकाहार करने का निश्चय करता है। वैसे तो आजकल विदेश में भी शाकाहार का प्रचार हो रहा है और बहुत सारे शाकाहार ही पसंद करते हैं । मनुस्मृति में आर्य और म्लेच्छ खंड के बारे में कहा गया है कि जहाँ कस्तुरी मृगों की शिकार होती है ૧૪૬ संकल्प-बल मानवीय - संकल्प का चुम्बकत्व इतना प्रबल होता है कि वह किसी को भी अपनी ओर खींचते चले आने के लिए विवश कर सकता है। वह म्लेच्छ खंड है। और जहाँ वे निर्भय विचरते हैं, वह आर्यखंड है। महाभारत में कहा है कि - मृत जानवर के शरीर पर जितने भी बाल या छेद होते हैं उतने हजार साल तक नरक की यातना भोगनी पड़ती है। यावन्ते पशुरोमाणि, पशुमानेषु भारत । तावदवर्ष - सहस्राणि, पच्यते पशुधानकर्म ॥ विष्णुपुराण में कहा गया है कि मांसाहारी व्यक्ति अगले जन्म में नीच कुल में जन्म लेती है । अल्पायु तथा दारिद्री बनती है । अपने आप को निर्बल मत मानो। अपनी शक्ति का मूल्य बराबर समझो। क्षमता मानवीय संकल्प को असम्भव को सम्भव बनाने की कुँजी है । यह बात मत भूलों कि सफलताएँ दृढ़ संकल्प भरे प्रयासों के चरण चूमती हैं। साथन कितने भी अच्छे हों, यदि मनुष्य में हिम्मत नहीं होती, साहस नहीं होता तो वे साधन बेकार हो जाते हैं। यदि मनुष्य में वीरता, साहसिक क्षमता, दृढसंकल्प और आत्म-विश्वास होता है तो वह अल्प साधनों से भी कार्य सिद्धि कर लेता है। वीरता के साथ तत्परता, सहिष्णुता और समर्पण की भावना जुड़ी हुई रहती है। यद्यपि साहस करने में भी गणित होना चाहिए। ऐसा साहस नहीं करना चाहिए कि जो पागलपन गिना जाए। अपनी शक्ति - क्षमता का विचार करना भी आवश्यक होता है। साहस सबसे बड़ा शस्त्र है। તીર્થ-સૌરભ Jain Education International For Private & Personal Use Only રજતજયંતી વર્ષ : ૨૫ www.jainelibrary.org

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