Book Title: Tirth Saurabh
Author(s): Atmanandji Maharaj
Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba

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Page 173
________________ NUARNAWANINownsunWwwNSANSARNIN 68180000000016a 1960000000000000000000000000000 शिक्षा ___ अब्राहम लिंकन । अब्राहम लिंकन का हेडमास्तर को पत्र प्रिय गुरुजी, सारे मनुष्य न्यायप्रिय नहीं होते है नहीं होते हैं सारे सत्यनिष्ठ यह समझेगा मेरा बेटा... कभी...ना...कभी मगरउसको यह भी सिखाना.... संसार में प्रत्येक बदमाष गणिक होता है एक साधु चरित्र पुरषोत्तम भी स्वार्थी, राजकारणी रहते हैं संसार में वैसे होता है पूर्ण जीवन समर्पित करनेवाले नेता भी होतें है दाव लगाये वैरी वैसे ही प्रेम करनेवाले मित्र भी मैं जानता हूँ ये सारी बातें जल्दी नहीं सिखा सकोगे... तो भी बन सके तो उसके मन पर यह प्रतिबिम्बित करना, पसीना निकाल कर कमाया हुआ एक ही छदाम बिना महेनत से प्राप्त किए कीमती धन की अपेक्षा मूल्यवान होता है। हार कैसे स्वीकार करनी यह उसको सिखाना। और यह भी सिखाना कि विजय का आनन्द संयम से ग्रहण करें। आप में शक्ति हो तो उसको द्वेषमत्सर से दूर रहने को सिखाना उसे यह समजाना कि अपना हर्ष संयम से व्यक्त करें गुंडों से डरें नहीं यह समझाना कि उनको झुकाना सबसे सरल है। संभव हो तो उसे दिखाना, ग्रंथभंडार का अद्भुत वैभव पर उसके साथ प्राप्त करने दो उसे मन का आराम सृष्टि का शाश्वत सौंदर्य अनुभव करने देखने दो उसे पक्षीयों की ऊंछी उडान औरसोनेरी धूप में गुंजन करनेवाले भ्रमर हरेभरे पर्वत के उतारों पर डोलनेवाले छोटे छोटे पुष्प पाठशाला में उसको यह पाठ सिखाना झूठ के सहारे मिले हुए यश की अपेक्षा सच्चाई से आया हुआ अपयश भी श्रेयस्कर है। अपनी कल्पना, अपने विचारों पर दृढ विश्वास रखना चाहिए उसे गलत हो तो भी उसको यह बताना कि अच्छे लोगों से अच्छाई से व्यवहार करें और ठगों को ठगी से उत्तर दें। मेरे पुत्र को यह समझा के तो देखें जिधर आकर्षण, उधर दौड़नेवालों में सामिल न होने की शक्ति उसे प्राप्त करनी होगी। -२४४यंती वर्ष : २५ तीर्थ-सौरभ १६३ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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