Book Title: Tattvartha Sutra Author(s): Puja Prakash Chhabda Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur View full book textPage 6
________________ प्राक्कथन आचार्य उमास्वामी कृत तत्त्वार्थसूत्र (मोक्षशास्त्र) के रेखाचित्रों एवं तालिकाओं को पुस्तक के रूप में प्रस्तुत करने के विचार का उद्गम तत्त्वार्थ सूत्र वर्ष के अन्तर्गत कक्षा में पढ़ाने के फलस्वरूप हुआ। वर्तमान में नई पीढ़ी को चार्ट के माध्यम से विषयवस्तु का ग्रहण सरलता से हो जाता है एवं धारणा ज्ञान में शीघ्रता से आ जाता है। इसी बात को ध्यान में रखकर तत्त्वार्थ सूत्र पढ़ाने हेतु ही ये चार्ट तैयार किए गए थे। विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त सरल, संक्षिप्त व विशेष उपयोगी जानकर व इसकी माँग को देखते हुए इसे पुस्तकाकार रूप में प्रस्तुत किया गया था। प्रौढ़ पाठकों को पुस्तक सन्दर्भ के लिए भी उपयोगी साबित हुई है। प्रथम एवं द्वितीय संस्करण के हाथों-हाथ समाप्त होने व अधिक माँग होने से इसका तृतीय संस्करण प्रस्तुत किया जा रहा है। . इस पुस्तक में सूत्र एवं सूत्रार्थ सर्वार्थसिद्धि ग्रन्थ से लिये गए है। इसके साथ ही पूर्वाचार्यों के कथन को ही रेखाचित्रों के माध्यम से तथा उन्हीं के द्वारा बताए गए लक्षणों को संक्षेप में प्रस्तुत किया है। सूत्रों के क्रम को चार्ट आदि के आग्रह से पूर्ववत् आगे-पीछे रखा गया है। इन्हें तैयार करने में जिन ग्रन्थों का आधार लिया गया है, उनमें तत्त्वार्थसूत्र टीकाएँ सर्वार्थसिद्धि, राजवार्तिक, अर्थप्रकाशिका तथा प्रवचनसार, त्रिलोकसार एवं गोम्मटसार जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, वृहद द्रव्य संग्रह प्रमुख हैं। “को न विमुह्यति शास्त्रसमुद्रे" के अनुसार पुस्तक में त्रुटियाँ होना सम्भव है। अतः सुधी पाठकों से अनुरोध है कि त्रुटियाँ सुधारकर पढ़ें व मुझे भी अवगत करावें, ताकि आगामी संस्करण में उनकी पुनरावृत्ति न होवे। ... प्रस्तुत पुस्तक को लिखने की प्रेरणा तथा आद्योपांत पूर्ण सहयोग के लिए मैं अपने पति श्री प्रकाश जी छाबड़ा के प्रति विशेष कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। मैं आदरणीय बा. ब्र. पं. श्री रतनलाल जी शास्त्री की विशेष आभारी हूँ, जिनके सान्निध्य में जैन सिद्धान्त प्रवेशिका से लगाकर गोम्मटसार जीवकाण्ड Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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