Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Puja Prakash Chhabda
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 4
________________ प्रस्तावना बाल ब्र.पण्डित श्री रतनलालजी शास्त्री इन्द्र भवन, तुकोगंज, इन्दौर श्री तत्त्वार्थसूत्रजी अपरनाम मोक्षशास्त्रजी वर्तमान में द्वादशांग का सार है। पूर्ववर्ती एवं उत्तरवर्ती आचार्य भगवन्तों की परम्पराओं अर्थात् दोनों श्रुतस्कन्ध परम्पराओं का संगम यानि प्रयाग है। यह ग्रंथ चारों अनुयोगों का नवनीत है। इस ग्रन्थ का एक-एक सूत्र बीजबुद्धि ऋद्धि के समान है। हर एक सूत्र अनेकान्तरूप है। व्याकरण, न्याय, कोष, सिद्धान्त की अपेक्षा आदि से अंत तक अविरोध रूप से है। इस ग्रंथ पर अनेक आचार्य भगवन्तों व विद्वज्जनों की टीकाएँ व अनुवाद विद्यमान हैं। ‘अल्पबुद्धि भव्यात्माओं को सहज रूप से तत्त्वार्थसूत्र ग्रंथ आत्मसात् हो जाए' इस पवित्र भावना से प्रेरित होकर एवं अनेकानेक भव्यात्माओं के अतीव आग्रह से श्रीमती पूजाजी एवं प्रकाशजी छाबड़ा (जैन) ने बहुत ही लगन व परिश्रम पूर्वक तत्त्वार्थसूत्र (रेखाचित्र एवं तालिकाओं में)' को प्रकाशित कराया है। जिसकी सर्वत्र सराहना हुई है तथा : तृतीय संस्करण प्रकाशित करना अनिवार्य हो गया है। लेखिका श्रीमती पूजा छाबड़ा एवं उनके पति श्री प्रकाश छाबड़ा में ज्ञान एवं वैराग्य का अद्भुत संयोग है। श्री प्रकाश छाबड़ा ने अमेरिका में मास्टर्स ऑफ कम्प्यूटर साइंस की उपाधि प्राप्त कर विश्व की सर्वोच्च कम्पनी 'माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन, अमेरिका' में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्य · · किया। श्रीमती पूजा छाबड़ा ने भी अमेरिका में सी. पी. ए. (चार्टर्ड अकाउंटेण्ट के समकक्ष) की उपाधि प्राप्त कर अमेरिका में प्रोफेशनल अकाउंटेण्ट के पद पर कार्य किया। सात वर्षों के अमेरिका प्रवास में भी आपका धार्मिक अध्ययन व अध्यापन चलता रहा। आत्मकल्याण की भावना से प्रेरित होकर दोनों अमेरिका व लाखों की नौकरी छोड़कर मात्र 31 व 28 वर्ष की अवस्था में निवृत्त जीवन जीने का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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