Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Puja Prakash Chhabda
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 5
________________ संकल्प कर भारत वापस आ गए। आप यहाँ अत्यन्त सादगीमय व भौतिक साधनों से विरत होकर एक आदर्श श्रावक का जीवन यापन कर रहे हैं एवं अनन्त संसार के अभाव के लिए ही अपना समग्र पुरुषार्थ लगाकर आगे बढ़ रहे हैं। अपने पूर्ण समय में आपने गोम्मटसारजी जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड, लब्धिसारजी, क्षपणासारजी, त्रिलोकसारजी, पद्मपुराण, हरिवंशपुराण, अनगार धर्मामृतजी, समयसारजी, प्रवचनसारजी, सर्वार्थसिद्धिजी आदि चारों अनुयोगों के अनेकानेक ग्रंथराजों का क्रमिक एवं गूढ अध्ययन किया एवं अध्ययन के साथ-साथ शास्त्र प्रवचन, धार्मिक कक्षाओं में अध्यापन, नई तकनीक (प्रोजेक्टर/कम्प्यूटर) के माध्यम से करणानुयोग के विषय को अत्यंत सरलता से प्रस्तुत कर रहे हैं। ____इनके लघुभ्राता श्री विकास-सारिका छाबड़ा भी मात्र 27 वर्ष की उम्र में माइक्रोसॉफ्ट, अमेरिका की नौकरी छोड़कर निवृत्तिमय धार्मिक मार्ग पर उक्त प्रकार से ही चल रहे हैं। पूजा की माताजी श्रीमती जयश्री टोंग्या का भी जीवन धर्म से ओत-प्रोत है। आपके संस्कार पुत्री में परिलक्षित हो रहे हैं। दोनों प्रकाश एवं पूजा प्रचार-प्रसार से दूर मात्र स्व-पर कल्याण हेतु ही इस मार्ग पर अग्रसर हैं। मेरी मंगल कामना है कि आप सदैव उत्तरोत्तर मोक्षमार्ग में वृद्धि करें । अलमस्तु। - रतनलाल जैन इन्द्र भवन, तुकोगंज, इन्दौर 27/04/2010 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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