Book Title: Tap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak Author(s): Saumyagunashreeji Publisher: Prachya VidyapithPage 12
________________ x... तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक सेवा में सदा संलग्न रहते हैं। शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में आपकी विशेष अभिरुचि है। आप वर्ष में अनेक बार मुफ्त नेत्र चिकित्सा आदि शिविरों का आयोजन करते हैं। अपनी जन्मभूमि में आपने मन्दिर एवं उपाश्रय का जीर्णोद्धार करवाकर भावी पीढ़ी के लिए उसे चिरंजीवी बनाया है। आप अल्प परिग्रही जीवन जीते हुए अपनी समस्त आय का सदुपयोग जन कल्याण हेतु करते हैं। 90 वर्ष की अवस्था में भी आप नियमित सामायिक, जिनदर्शन, नवकारसी, चौविहार, मौन आदि की साधना करते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 'देह में रहकर भी आप देह से भिन्न हैं । ' सन् 2011 में साध्वी सौम्यगुणा श्रीजी के कलकत्ता चातुर्मास के दौरान उनकी व्याख्यान शैली एवं निरपेक्ष जीवन से प्रभावित होकर आपने श्री खरतरगच्छ संघ कोलकाता द्वारा उनकी शोध कृति को प्रकाशित करवाने की भावना अभिव्यक्त की थी। आप जैसे उत्साहवर्धी, आदर्श व्यक्तित्व के धनी श्रावक वर्ग ही साधु-साध्वी एवं समाज को सत्कार्यों के लिए प्रेरित कर सकते हैं। सज्जनमणि ग्रन्थमाला आपके उज्ज्वल एवं देदीप्यमान जीवन की भूयोभूयः अनुमोदना करता है तथा जिन शासन के लिए आप सदृश श्रावक रत्न की याचना करता है।Page Navigation
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