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मे.भाभारत२ (मधुरम)
'शूरवीर और हींचकारे' नाममा विदेश जानती ५२ यढ२ सपूतान महिमागान २तां मारनेछ
शूली 4 चढनेवाले
देश दुलारे मरते है एक मर्तबा
ईमानके प्यारे हजारबार मरते है
नामर्द बेवफा
जलील ठगारे समाजका रुत्बा
बिगाडनेवाले खिसियाने होते है
शरर्मिदगी मारे खाते आये है गालियां
शबून पेशवा बेरिपर्द बेहया
इतिहास पुकारे ! 'गीतो' और तराना'मा विमानाना प्रभाव वैसे ही रंग राग है, जैसा होता है झमाना' पतियोमा विछे पुण्यकी तेहसील प्यमा वझूद कर लेना कबूल, हरेक मामूल, इसमें है कछ सी भला' & 'सबक है कौनसा अघरा ? वेपार पुण्यका बुरा ना माध-सहेश विमाछ: “धुरा और धुरासर्जक' अव्यमा माआही पछी देशी सन्याना विलीनी २६ ટાણે આવી ગયેલા નવા જમાનાને ચિતાર આપી કવિ ગાંધીજીને અને અહિંસાને મહિમા સમજાવી જાય છે—
झमाना धुरावाहकोंका गया हे
झमाना नया दूसरा आ रहा है ? फगाके धुरा जो गय बेलझाद
धुरा सर्जकों के लिये क्या रहा है ? खडे जो हुऐ दुसरों के पसीने
मुकाम आज उनका कहां कौन सा है ? खरा कीमिया जो यहां कोई खोजे
अहिंसा अहिंसा खरा कीमिया है। अकेला लडा है हझारोके सामने
जिसे सत्यको कामना, चाहता है : सुवर्णाक्षरोंसे लिखा सा, पतीला
शिलालेख तेरा यही हो गया है ।
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