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સદ્ભુત કવિ પતીલ'નાં અપ્રગઢ હિંદી-અંગ્રેજી શીતકાવ્યો
जहाँ शाहद है बिखरे हर्द हर्द, एक बहती है सरिता प्रणे प्रणे ॥ जिसने सांखी है शौकसे मुश्किलें, औ काही है सुब्र से मंजिले, खुद चलाके उसका ध्येय आता है, कि जाप जपता था वह उदे उदे ।
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मैं कदम कदम यमुना देखूँ वह हर पत्ते में कनै कनै ।
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આત્મલક્ષી રચનાઓો-સમાપન-
" जी जान है' नाम वक्षी तर्ज मां कविता पोताना भुवननी प्रथा-व्यथा आहे---
मौजे कहती है दरिया से
कि दरिया हो जाउ में ।
यं जिंदगी कहती है मेरी मुझे कि सपना हो जाउँ मै ॥
आकाशवासी श्री तारलो, जरा हमको भी निहार लो
कि हमसे जिया नही जाता,
जी जात है । मौंजे •
या तो किसीका प्यार हो या किसीका धिक्कार हो,
कि ऐसा जिया नहीं जाता
ख्याल क्यूँ इसका बगर नाम
जी जात है | मौजे ०
सताता है, दृष्टिसें जी नहीं आता है लिया नहीं जाता
जी जात है ॥ मौजे ०
कौन जाने किसका मैं बंदा है व किसकी तलाश में अंधा हूँ
जबां से कहा नहीं जाता
जी जात है ।। मौजे ०
जिसके एक बोल से शयदा हूँ
व जिसकी एक मौजशा पयदा हूँ वह दरिया देखा नहीं जाता, खो जात है ।
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