Book Title: Supasnahachariyam Part 03 Author(s): Lakshmangani, Hiralal Shastri Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 6
________________ समपणम् । यस्यानन्यसमं मदेन रहितं पाण्डित्यमत्युज्ज्वलं वाणी चन्दनशीतला जनमन:-संतापमंहारिणी। इष्टेऽनिष्टतरे च वस्तुनिचये चेतो विकारोज्झितं बाह्याडम्बरवर्जिता परहिताधाने प्रवृत्तिः शुभा ॥१॥ 0 .. अन्ये चापि गुणाः सुधांशुविमला गाम्भीर्यधैर्यादय___ स्तत्तत्पूर्वमहर्षिचारुचरितं सत्यापयन्ति ध्रुवम् । तस्य श्रीमुनिराजराजविजयस्येदं कराम्भोरुहे भक्त्या पुस्तकमर्पयामि कृपया तस्यैव संपादितम् ॥ २ ॥ SZSS संपादकः। mmmmmmsmara N MENamemumta Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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