Book Title: Sudharma Dhyana Pradip
Author(s): Sudharmsagar, Lalaram Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 199
________________ सु०प्र० माई ध्यायेश्चिन्तयेच जपेत्सुधीः। शान्तिपुष्ट्यादिकार्याणि सस्य सिद्धयन्ति शीघ्रतः ।।शा 'ओं णमो अरिहंताण मिति सपाक्षरात्मकम् । अईतो वाचक मंचं ध्याय सर्वसिद्धये ॥६२।। णमो सिद्धाण' माध्यायेत्पञ्चाक्षरात्मक परम् । प्रणवेन युतं सिद्धस्वरूपवाचकं शुभम्॥६॥ मंत्रस्यास्य प्रभाव सिध्यन्ति समिद्धयः । नापं हिनापति तत्क्षणात्स्वयम् ॥६४|| 'ओं णमो पायरीयाणमिति सप्ताक्षररात्मकम् । प्राचार्यवाचकं श्रेष्ठं सर्वकल्याणकारकम् ॥शा ध्यायेच्छुद्धसुभावेन स्वात्मचारित्रवृद्धये । दुष्कर्मपापनाशार्थ भक्त्या च विधिपूर्वकम् ॥६६॥ ध्यायेन् 'हमो उवमायाणमिति सप्तवर्णकम् । प्रणवेन युतं शुद्ध परब्रह्मात्मक शुभम् ।।६७॥ सर्वाविद्याविनाशार्थ परमज्ञानमिद्धये । भावभक्त्या निजे चित्ते श्रद्धया च दिवानिशम् ॥६८।। सुव्यायच 'एमो लोए सब्बसाहूण'मक्षरम् । नवावरात्मक शुद्ध मनोवान्छितसिद्धिदम ॥६धा प्रतिदिनं जपेन्नित्यं जिनलिङ्गसुधारकम् । वीतरागं महात्मानं योगिनाथ दिगम्बरम ॥७॥ तस्य च उसके शांति, पुष्टि आदि समस्त कार्य शीघ्र ही सिद्ध हो जाते हैं ॥६॥ "ओं षामो अरिहंताण" यह अरहंतका वाचक सात अक्षरोंका मन्त्र है, इसलिये समस्त कार्योंकी सिद्धिके लिये इसका ध्यान करना चाहिये ॥६२॥ "णमो सिद्धाण" यह पांच अक्षरोंका उत्कृष्ट मन्त्र हैं, यह भगवान् सिद्ध परमेष्ठीका वाचक है और शुभ है, इगलिये प्रणवके साथ इसका ध्यान करना चाहिये ॥६३॥ इस भत्रके प्रभावसे समस्त सिद्धियां सिद्ध हो जाती । हैं और कर्म-कलंककी कीचड़ अपने आप उसी क्षणमें नष्ट हो जाती है ॥६४॥ "ओं णमो आहरीयाणे" यह मात अक्षरोंका मन्त्र आचार्यका वाचक है और श्रेष्ठ तथा समस्त कल्याणोंको करनेवाला है ॥६५॥ इस मंत्रको | | भी अपने आत्माके चारित्रकी वृद्धिके लिये और पाप कर्मोंका नाश करने के लिये शुद्धभावोंसे विधिपूर्वक बड़ी भक्तिसे चिन्तवन करना चाहिये ॥६६॥ “णमो उवज्झायाणं" यह सात अक्षरका मन्त्र है । यह मन्त्र Pil भी शुद्ध है, परमब्रह्मस्वरूप है, और शुभ है; इसलिये ममस्त अविद्याओं को नाश करनेके लिये और परम ब्रान PI की प्राप्तिके लिये, भाव-भक्ति तथा श्रद्धापूर्वक अपने हृदयमें रात-दिन प्रणवके साथ इसका ध्यान करना चाहिये ॥६७-६८|| इसी प्रकार "णमोलोए सब्बसाहणं" यह नौ अक्षरोंका मन्त्र है, यह भी शुद्ध है, मनोवांच्छित | | पदार्थोंको सिद्ध करनेवाला है, जिनलिंगको सुधारनेवाला है, वीतराग है, महात्म्यको धारण करनेशला है, | योगियों का स्वामी है और दिगम्बर अवस्थाका सूचक है। इसका मी प्रतिदिन ध्यान करना चाहिये और

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