Book Title: Sudharma Dhyana Pradip
Author(s): Sudharmsagar, Lalaram Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 228
________________ मा. मन्दिरम् ।।७) रत्नत्रयमयश्वात्मा रत्नत्रयमयो जिनः । मोक्षमार्गो दि स्वात्मैव मोक्ष प्रात्मैव निश्चतम् ॥७८|| आत्मैव 'सु०प्र० | मे सश ध्येयो हारमा ध्याता महाप्रभुः। श्रात्मैव हीश्वरः शुद्धो बुद्धो मीमांसको विभुः III तस्मात्सर्वप्रयत्नेन ध्या. तव्यः स मुमुतुरणा। सर्वविकल्पसंकल्प त्यक्त्वाऽऽत्मैव सदा च मे ||२०|| यो ध्यायति निजात्मानं शुद्धबुद्धषा हि चात्मना । ॥२१३॥ Dस शीध्र परमात्मानं प्राप्नोत्येव सुनिश्चितम् ।।१॥ येन ध्यानसुधासिन्धुः पीतो भक्तिभरण वा । स बात्मा परमात्मा स्याद नाश्चर्यसंशयो ।।। इति सहजविशुद्धो जायते ध्यानतोऽसौ विहितपरभावो निष्कजङ्कः परात्मा। विगतभवविभाषो यो हि बास्मैव सिद्धः स्वपरिणतिनिनग्नः स्वात्मरूप: सुधर्मः ॥८॥ इमि सुधर्मध्यानप्रदीपालहरे शुद्धध्यानवर्णनो नाम पञ्चविंशतितमोऽधिकारः । | परम देव है और यही मेरा आत्मा देवालय है ॥७७|| यही मेरा आत्मा रत्नत्रयस्वरूप है, तथा भगवान जिनेन्द्रदेव मी रखत्रयमय हैं। यही मेरा आत्मा मोक्षका मार्ग है और यही मेरा आत्मा निधयरूपसे | मोक्षस्वरूप है ॥७८॥ यही मेरा आत्मा सदा ध्यान करने योग्य है, यही भाना सान करनेवाला है, यही आत्मा महाप्रभु है और यही आत्मा ईश्वर है, शुद्ध है, बुद्ध है, मीमांसक है और विभु है ॥७९॥ इसलिये मोक्षकी इच्छा करनेवाले भव्य जीवोंको अपने 'समस्त संकल्प-विकल्पोंको त्यागकर तथा समस्त प्रयत्न करके इसी अपने आत्माका ध्यान करना चाहिये ।।८० जो आत्मा अपने आत्माके द्वारा शुद्ध बुद्धिसे | अपने आत्माका चितवन करता है, वह शीघ्र ही परमात्मपदको प्राप्त हो जाता है। यह निश्चित सिद्धांत है | ॥८१॥ जिस मन्य जीवने मक्तिपूर्वक इम ध्यानरूपी अमृतके समुद्रका पान किया है, वह आत्मा अवश्य परमात्मा बन जाता है, इसमें न कोई आश्चर्य है और न कोई संदेह है ॥८२। इस ध्यानके प्रभावसे यह । आत्मा ही स्वभावसे विशुद्ध हो जाता है, परभावोंसे रहित हो जाता है, निष्कलंक हो जाता है, सर्वोत्कृष्ट हो र जाता है, संसारके विमावोंसे रहित हो जाता है, अपने ही आत्माकी परिणतिमें लीन हो जाता है, शुद्ध स्वात्मस्वरूप हो जाता है और श्रेष्ठ धर्मम्वरूप हो जाता है । ८३॥ इस प्रकार मुनिराज श्रीसुधर्मसागरविरचित सुधर्मध्यानपदीपालकारमें शुक्लध्यानको निरूपण करनेवाला यह पच्चीस अधिकार समाप्त हुआ।

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