Book Title: Sudharma Dhyana Pradip
Author(s): Sudharmsagar, Lalaram Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 206
________________ F० प्र० मा० ॥१४॥ नम् ॥१क्षा निष्काम निष्क्रिय दुखतापकवर्जितम् । अतीन्द्रियं मनातीतं रागादिदोश्वजितम् ॥१७॥ क्रोधमानविनिष्कातं मायालोभविवर्जिनम् । निल निर्भयं परं वीर कविनाशने ॥१॥निद्वन्द्व सङ्गसंहोनं गनदीपं विरागकम् । निर्मःसरं निरान्तकं निस्पृहं च पिताम् ।। गायन -लोरदिगम्वरम् । निभू पम् च निर्वस्त्रं निःशस्त्रं जालरूपकम् ॥२०ा निष्कल्मषं महाशान्तं निधिनाथं महेश्वरम् । दिव्यविभूतिसम्पन्न दिव्यसाम्राज्यभूषितम् ।।२३॥ छत्रत्रयसमायुक्त' चामरैयक्षितं सदा। सिंहासनसमामीन प्रातिहार्यविभूषितम् ॥२२॥ अन्तरिक्षस्थितं दिव्यपद्मोपरि विराजि. तम् । महाश्चर्यकरं तन्त्र चिन्त्यं विश्वमोहकम ॥२३|| अनन्तज्ञानसम्पन्नमनन्त दर्शनान्वितम् । अनन्तसौख्यसंयुक्त चामरैयजितं सदा ॥२४।। सवनं सर्वद्रष्टारं सार्व सर्वहितङ्करम् । सर्वकल्याणकर्तारं शङ्करं च शिवेश्वरम् ॥२५॥ | सर्वार्थबोधकावद्ध शंकरत्वाद्धि शक्करम् । ब्रह्माणं ब्रह्मनिरताद्विारा सर्वमयं विभुम् ॥२६॥ देवतानामधीशत्वान्महा. दोपरहित हैं, इच्छारहित हैं, क्रियारहित हैं, दुःख, संताप और शोकसे रहित हैं, अतीन्द्रिय हैं, मनसे रहित | हैं, राग-द्वेषरहित हैं, क्रोध-मानसे रहित है, माया लोभसे रहित हैं, निर्लेप हैं, निर्भय हैं, का नाश करने में धीर-बीर हैं, द्वंद्वरहित हैं, परिग्रहरहित हैं, द्वेपरहित हैं, गगरहित हैं, मत्सरतारहित हैं, आतकरहित हैं, स्पृहारहित हैं, आकुलतारहित है, आशारहित हैं, इच्छारहित हैं, लोकोचर हैं, दिगम्बर हैं, आभूषणरहित हैं, चम्बरहित हैं, शस्त्ररहित हैं, उत्पन्न हुए (बालक)के समान दिनम्बर हैं, कल्मषतारहित हैं, महाशान्त हैं. निधियों के स्वामी हैं, महाईश्वर हैं, दिच्य विभूतियोंसे सुशोभित हैं, दिव्य साम्राज्यसे विभूषित हैं, उनके मस्तकपर तीन छत्र शोभायमान होते हैं, चमर दुलते रहते हैं. वे सिंहासनपर विराजमान रहते हैं, प्रातिदायाँसे सुशोभित रहते हैं, सिंहासनपर भी अंतरीक्ष दिव्य महा कमलपर विराजमान रहते हैं, आश्चर्य उत्पन्न करनेवाले हैं, अचिंत्य हैं, तीनों लोकोंको आकर्पित करनेवाले हैं, अनन्त ज्ञान, अनंत दर्शन, और अनंत सुखसे सुशोभित हैं, उनपर चमर सदा दुलते रहते हैं, वे सर्वज्ञ हैं, सबको देखनेवाले हैं, मयका भला करनेवाले हैं, सबका हित करनेवाले हैं, सबका कल्याण करनेवाले हैं, शङ्कर हैं, शिवके ईश्वर है, समस्त पदार्थोंके जाननेवाले हैं-इमलिये बुद्ध है, सबका कल्याण करनेवाले हैं, इसलिये शंकर है, ब्रह्ममें लीन है-इसलिये बना है। ज्ञानके द्वारा सबको जानते हैं इसलिये विष्णु वा विभु हैं वा सर्वमय हैं, देवोंके स्वामी होनेके कारग महादेव हैं, तीनों लोक उनको नमस्कार करते हैं, वे ॥

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