Book Title: Stotra Chintamanistatha Prakrit Stotra Prakash
Author(s): Vijaypadmasuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
View full book text
________________
२८३
प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः
धम्मो करुणा संजम - तवरूवो भसामा तिष्णि ॥ इयं भावणण्णय गया -सद्धा जिणएहि पण्णत्ता ॥ ५६ ॥ एआ भिन्नसरूवं - सम्मत्तं जीवपरिणइविसेसं ॥ उवसमखयाइएहिं - होज्जा सत्तण्ह पयडीणं ॥ ५७ ॥ संवेगाइयलक्खं - कहए आवस्सईय निज्जुती | गुरुभद्दबाहुरइया-तत्तत्थर हस्समत्त मिणं ॥ ५८ ॥ जत्थ जहिं मुहसद्धा - सम्मत्तं तत्थ तत्थ नियमाओ ॥ साहियमणपज्जत्ती - पाणदसगधारगा तत्तो ॥ ५९॥ तित्थयराइयगुणिणो - गन्भत्था पुव्वगइयसम्मत्ता ॥ लोगुत्तरसद्दहणा - होज्जइ नाओ व भासे ॥ ६० ॥ जत्थय धूमो नियमा- तत्थऽगणी जह महाणसे वत्ती ॥ धूम्मस्स होइ भयणा - जत्थऽणलो तत्थ धूमति ॥ ६१ ॥ एहसाह - दिहंतो लोहगोलगो तत्तो ॥ एवं सम्मदंसण-सद्धोवणयं वियाणिज्जा ॥ ६२ ॥ सम्मत्तं जत्थ तहिं -सद्धा भयणा जहा जिणिंदाणं || गन्भत्थाणं मणप-ज्जत्तीए पुव्वसमयमि ॥ ६३ ॥ तयणंतरम्मि समए - दुगसम्भावो तओ य परमत्था ॥ भिनं सम्मत्तमिणं - सद्धा भिनत्ति पण्णत्तं ॥ ६४ ॥ गणिय तहावुवयारा -सद्धा कज्जस्स दंसणविहे | एगत्तम भयनया - भणिज्जए दोसु णो भेओ ।। ६५ ॥

Page Navigation
1 ... 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344