Book Title: Stotra Chintamanistatha Prakrit Stotra Prakash
Author(s): Vijaypadmasuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः
सह तेणं संगामो-सणंकुमारस्स तत्थ संजाओ ।। चक्करयणमुप्पण्णं-युद्धावसरे महादिव्वं ॥ २६ ॥ दस सहसहायणेहि-सणंकुमारो विजियछखंडरसो॥ नरदेवचकवट्टी-जाओ सिरिधम्मनाहस्स ॥ २७ ॥ हत्थाओ जणएणं-गहिया दिक्खा पसण्णचित्तेणं ॥ तस्संग दुकराहिय-इगूणचालीसधणुमाणं ॥ २८ ॥ पण्णाससहसवरिसा-कुमरत्ते मंडलित्तमेवं च ॥ चकिस्स भव्वरूवं-पसंसियं सोहमिदेणं ॥ २९ ॥ किच्चा विप्पसरूवं-दो देवा पच्चयप्पकरणहें । अत्यागया य दट्टुं-रूचं हिहा पसंसीअ ॥ ३०॥ मत्तो कहीअ चक्की-आगंतव्वं पलोइडं रूवं ॥ अत्थाणे तुब्भेहि-समागया तत्य तेऽवि सुरा ॥३१॥ खिण्णेहि तेहि भणियं-दीसइ तत्थत्थरूक्बहुभेओ ॥ रोगा तुज्झ सरीरे-सोलह जायाऽहुणा भूवे ? ॥३२॥ सोच्चा पच्चयकरणा-चक्की चिंतीअ गयनिहीदेहो ॥ तत्थ ण मोहो कज्जो-तवसा साहल्लमेयस्स ॥३३॥ एवं वियारिऊणं-रज्जा नवनवइसहसवरिसेसुं ॥ विगएK पव्वज्ज-विनयधरमूरिकरकमला ॥ ३४ ॥

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