Book Title: Stotra Chintamanistatha Prakrit Stotra Prakash
Author(s): Vijaypadmasuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः
दढमोहबंधणाई-छिदित्ता साहियाणगारगुणे ॥ जाया सस्साणंदा-एयं चारित्तमाहप्पं ॥ ३० ॥ वेमाणियदेवत्तं-मुहुत्तपज्जायसाहगा समणा ॥ पाविजा केइ णरा-विवुड्सुहभावसेढीए ॥ ३१ ॥ मरुदेवीदिटुंता-सिद्धिं साहतिऽणंतरणं करणं ॥ सिद्धीए चारित्तं-अपुव्वसुरपायवाहमिणं ॥ ३२ ॥ दंसणसमयठिइत्तो-पल्लपुहुत्तप्पमाणठिइणासा ॥ देसा विरई तत्तो-संखिज्जद्धिप्पणासाओ ॥ ३३ ॥ सव्वविरइगुणलाहो-उवसामगखवगसेढिसंपत्ती ॥ एयकमाउ कहिया असंखसो देसवयलाहो ॥३४॥ अट्ठभवावहिचरणं-समग्गसंसारभमणचक्कम्मि ॥ अपमाया चेयंता-चरंति चारित्तसुहकिरियं ॥ ३५॥ पीऊसे जस्स मणं-लीणं तस्सावरत्थपीई णो ॥ एवं चरणे लीणो-नण्णत्थ रई कया कुणए ॥३६॥ सक्कत्ताईहिंतो-चारित्तं दुल्लहं वियाणिज्जा ॥ विसरंति विहावरया-पत्तावसरं महामुल्लं ॥ ३७॥ उज्जललेसो पसमो-कसायगणनोकसायपरिहारी ॥ अप्पा नियगुणरंगी-चारित्तमभेदनयतसा ॥ ३८ ॥

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