Book Title: Sramana 2000 07 Author(s): Shivprasad Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 3
________________ सम्पादकीय ०१ - यशोगाथा ०२ - श्रमण संस्कृति के गायक लब्धिसूरि ०३ - साधना, ज्ञानार्जन एवं लौकिकसेवा से पूर्ण जीवन ०४ लब्धिसूरि की रचना में भक्तिसौरभ ०५- समाज को साम्प्रदायिकता से बचाना होगा ०६- आचार्यश्री विजयलब्धिसूरि जी महाराजः एक अविस्मरणीय व्यक्तित्व ०७- लब्धिभक्तामरस्तोत्रम् ०८ पञ्चमकालामृतम् ०९ - गुरुदेव महान् १० प्रभुता से प्रभुता दूरः लघुता से प्रभुता हजूर ११ - महान् विभूति के साथ बीते क्षण (संस्मरण) १२- सम्यक् प्रणाम (कविता) १ ३ - महात्मा लब्धिसूरिदेव (कविता) १४- पूज्य श्री के प्रवचन १५ - लब्धिवाणी श्रमण जुलाई - सितम्बर २००० आचार्य लब्धिसूरि स्मृति विशेषांक विषय-सूची १६- चौबीस तीर्थंकर भगवान् के चौबीस स्तवन १७- आचार्य लब्धिसूरि कृत कतिपय ग्रन्थों की नामावली १८- विद्यापीठ के प्रांगण में १९ . जैन जगत् Jain Education International आचार्यश्री राजयश विजय जी श्री रावलमल जैन 'मणि' डॉ० के० सी० जैन श्री रावलमल जैन 'मणि' आचार्य श्री राजयश विजय जी डॉ० गंगाचरण त्रिपाठी साध्वी हंसश्री पंन्यासप्रवर श्रीमुक्ति विजय गणि आचार्यश्री जयंतसूरि जी म०सा० मुनिश्री कलहंस विजय जी पंन्यास वारिसेण विजय श्री सुरेश 'सरल' श्री मूलचन्द बोथरा 'कोविद’ श्री चेनराज लूणिया श्री लब्धि For Private & Personal Use Only पृष्ठ सं० I-III ०१ २१ २४ ३३ ४.१ ४ ३ ४८ ५५ ५७ ५८ ६० ६९ ७० ७१ ७४ ७८ १२० १२१ १३१ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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