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हासकार था " | राजशेखर कुल्लूर के पितामह नारायण मीमांसा में पारंगत थे । पेशवा माधवराव ने इनका सम्मान (१७६० - १७७२ ई०) किया था। इनकी रचनाओं में साहित्यकल्पद्रुम, शिवशतक, श्रीशचम्पू, और अलंकारमकरण्ड आदि का उल्लेख प्राप्त होता है । मलधारि राजशेखर का जीवन वृत्त
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अपने जन्म-काल, जन्मस्थान, माता-पिता आदि के सम्बन्ध में न तो स्वयं आचार्य ने ही कहीं उल्लेख किया है और न ही अन्य स्रोतों से इस सम्बन्ध में कुछ ज्ञात होता है । डा० प्रवेश भारद्वाज ने प्रबन्धकोश में अणहिल्लपत्तन का बारह बार उल्लेख आने एवं इसी स्थान से प्रबन्धकोश की सर्वाधिक हस्तप्रतियाँ उपलब्ध होने को आधार मानकर अणहिल्लपत्तन को ही राजशेखर का जन्मस्थल माना है ।' डा० भारद्वाज की इस युक्ति को स्वीकार किया जा सकता था यदि उक्त ग्रन्थ की विषय वस्तु सर्वथा कविकृत होती; परन्तु ऐसा है नहीं । अन्य पूर्ववर्ती प्रबन्धों की विषयवस्तु से प्रबन्धकोश की विषयवस्तु का तुलनात्मक अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि प्रबन्धकोश की अधिकांश सामग्री पूर्ववर्ती ग्रन्थों से ग्रहण की गई है । उदाहरणस्वरूप प्रबन्धकोश का 'खपुटाचार्य प्रबन्ध' नेमिचन्द्रसूरि विरचित आख्यानकमणिकोश ( ई० १०७३- १०८३) में प्राप्त होता है । इसके पादलिप्तप्रबन्ध और बप्पभट्टि प्रबन्ध आचार्य प्रभाचन्द्र कृत प्रभावकचरित की तद्विषयक सामग्री के " तो 'मल्लवादि प्रबन्ध' आचार्य मेरुतुंग कृत प्रबन्धचिन्तामणि का अनुकरण मात्र है । इसी प्रकार सातवाहन प्रबन्ध व
१. डा० भारद्वाज, प्रवेश, प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन ( अप्र० ) पृ० २३ २. कृष्णमाचारी, एम०, हिस्ट्री आव क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर, पृ० ५०८ ७८७, ७८८
डा० भारद्वाज, प्रवेश, प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन, पृ० २३ प्रबन्धकोश (सिंघीजैन सिरीज), पृ० ८-९ व आख्यानक मणिकोश (प्राकृतटेक्स्ट सोसाइटी, वाराणसी १९६२) पृ० १७४-७५
प्रबन्धकोश, पृ० ११ १२ व पृ० २६, पृ० २७ - २९ व ८०-१११ प्रभावकचरित (सिंघीजैन सिरीज )
६. वही, पृ० २ व प्रबन्धचिन्तामणि (सिंघी जैन सिरीज) पृ० १०६ - १९८
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