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( ११६ ) कुमार जैन, खतौली, श्री धनपाल जैन त्रिनगर, दिल्ली एवं कु० रश्मि जैन, खतौली की ओर से सभी संस्थानों विश्वविद्यालयों विदेशी संस्थानों/विशिष्ट विद्वानों/शोध छात्रों को मार्च अप्रैल में निःशुल्क प्रेषित की जायेगी। आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस विषय में अपने सुझाव तथा शोध योग्य विषयों की सूची (१०० की सूची हमारे पास है) एवं अपना नवीन पता शीघ्र भेजकर अनुग्रहीत करें।
डॉ० कपूरचन्द जैन, श्री कुन्द कुन्द जैन महाविद्यालय, खतौली, २५/२०१, मुजफ्फरनगर (उ० प्र०)
प्रथम राष्ट्रीय प्राकृत्त सम्मेलन सम्पन्न बैंगलोर, ८-९ दिसम्बर, १९९० । स्वामी भट्टारक चारुकीति जी, श्रवणबेलगोला की अध्यक्षता में स्थापित प्राकृत ज्ञानभारती एजुकेशन ट्रस्ट, बैंगलोर द्वारा आयोजित प्रथम राष्ट्रीय प्राकृत सम्मेलन ८ एवं ९ दिसम्बर १९९० को बैंगलोर में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए न्यायमूर्ति इ० एस० वेंकटारमय्या ने कहा कि प्राकृत को वही स्थान और सम्मान मिलना चाहिए जो देश की अन्य भाषाओं को प्राप्त है। सम्मेलन के अध्यक्ष प्रसिद्ध भाषाविद् डा० ए० एम० घाटगे (पूना) ने भाषात्मक, साहित्यिक एवं दार्शनिक पक्ष की दृष्टि से प्राकृत-अध्ययन को गति देने की प्रेरणा अपने अध्यक्षीय भाषण में दी। इस सम्मेलन में देश-विदेश के लगभग ७० प्राकृत विद्वान, शिक्षक एवं शोध-छात्र सम्मिलित हुए। हिन्दी, अंग्रेजी एवं कन्नड़ में शोध-पत्र पढ़े गये एवं सम्मेलन के कार्यकारी निदेशक डा० प्रेम सुमन जैन (उदयपुर) ने प्राकृत भाषा में भी अपना प्रारम्भिक वक्तव्य दिया।
इस सम्मेलन में ट्रस्ट द्वारा स्थापित "प्राकृत ज्ञानभारती पुरस्कार १९६०" प्राकृत के इन १० वयोवृद्ध विद्वानों को धर्मस्थल के धर्माधिकारी श्री वीरेन्द्र हेगड़े द्वारा प्रदान किये गये-डॉ० जगदीशचन्द्र जैन, पं० दलसुख भाई मालवणिया, पं० फूलचन्द सिद्धान्तशास्त्री, डॉ० नथमल टाटिया, डा० राजाराम जैन, डा० के० आर० चन्द्र, डा० बी० के० खडबडी, डा० एम० डी० बसन्तराज, डा० जे० सी० सिकदर एवं
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