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डॉ० एच० सी भायाणी । स्वामी भट्टारक चारुकीति जी ने प्रतिवर्ष 'प्राकृतज्ञानभारती पुरस्कार' प्रदान करने की घोषणा की तथा सम्मेलन के संयोजक एवं ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी डा० हम्पा नागराजय्या ने बताया कि यह प्राकृत सम्मेलन प्रति दो वर्ष में आयोजित होता रहेगा।
सम्मेलन के अवसर पर प्राकृत की प्रकाशित लगभग १५०० पुस्तकों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी। ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित (१) प्राकृत साहित्य की भूमिका (डा० प्रेम सुमन जैन); (२) प्राकृत साहित्य कइपिडि (शुभचन्द्र); (३) प्राकृत प्रवेशिका (कन्नड़); (४) कुन्दकुन्द प्रशस्ति (डा० जयचन्द्र, कन्नड़); (५) प्राकृत भारती (सम्मेलन स्मारिका) एवं प्राकृत अध्ययन प्रसार संस्थान उदयपुर द्वारा प्रकाशितः (६) 'प्राकृतविद्या' त्रैमासिक पत्रिका के सम्मेलन-विशेषांक इन छह प्रकाशनों का विमोचन भी इस अवसर पर किया गया। समापन समारोह के प्रमुख अतिथि कर्नाटक सरकार के शिक्षामन्त्री श्री एम. वीरप्पा मोइले ने अपने विद्वत्तापूर्ण भाषण में प्राकृत को समुचित सम्मान और विद्वानों को पुरस्कार प्रदान करने का आश्वासन प्रदान किया। सम्मेलन की संस्तुतियों में "नेशनल प्राकृत अकादमो' की स्थापना पर विशेष बल दिया गया है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में भगवान् महावीर चेयर
की स्थापना हरियाणा के पूर्व मुख्यमन्त्री श्री ओमप्रकाश चौटाला, वर्तमान मुख्यमन्त्री मास्टर हुकुमसिंह तथा शिक्षा मंत्री आदि के सद्प्रयत्नों से दिसम्बर १९९० में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में भगवान महावीर चेयर की स्थापना की गई। हरियाणा सरकार ने इस हेतु २ लाख १५ हजार रुपये की राशि सत्र १९९०-९१ के लिए अनुदान के रूप में स्वीकृत की है। भगवान महावीर चेयर की स्थापना करके हरियाणा सरकार ने जैन समुदाय की भावनाओं का आदर किया है। हम उसके कृतज्ञ हैं।
कोति प्रसाद जैन
संयोजक भगवान् महावीर चेयर जैन स्टडी उपसमिति
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