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शाजापुर का पुरातात्विक महत्व
प्रो० कृष्णदत्त वाजपेयी वर्तमान मध्य प्रदेश में स्थित शाजापुर का क्षेत्र प्राचीन काल में अवंति (मालव) महाजनपद के अंतर्गत था, जिसकी राजधानी उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) थी। विशाल अवंति जनपद के अंतर्गत माहिष्मती, उज्जयिनी, दशपुर, विदिशा आदि नगर थे, जो दीर्घकाल तक भारतीय इतिहास और संस्कृति के विकास के केन्द्र थे। कालांतर में अवंति के दो राजनीतिक भाग हुए-एक, पश्चिमी मालवा, जिसका अवंति नाम प्रचलित रहा। दूसरा, पूर्वी मालवा या दशार्ण जिसकी राजधानी विदिशा हुई। गुप्त काल के लेखक महाकवि कालिदास ने अपने ग्रंथ मेघदूत में विदिशा को दशार्ण प्रदेश की राजधानी लिखा है : "तेषां दिक्षु प्रथितविदिशा--लक्षणां राजधानीम् ।"
(मेघ, पूर्वभाग, २५) शाजापुर जिला की भूमि में मालवा पठार की विशेषताएं द्रष्टव्य हैं। यहाँ की पर्वत श्रृंखला तथा वनावली ने इस भूभाग को सुषमा प्रदान की है। जो नदियाँ इस भूमि को सिंचित और आवेष्टित करती हैं वे हैं-चीलर (चन्द्रभागा), काली सिंध (प्राचीन सिंधु) तथा नेवज (निविन्ध्या)। "निर्विन्ध्या" शब्द इस बात का द्योतक है कि यह नदी विस्तृत विंध्य पर्वत-माला की पश्चिमी सीमा थी। नेवज नदी शुजालपुर-पछोर से होती हुई ऊपर काली सिंध में मिलती है।
प्राचीन काल में मालवा होकर अनेक बड़े मार्ग जाते थे । धार्मिक तथा व्यापारिक कार्यों के लिए ये मार्ग बड़े उपयोगी थे। अरब सागर तट पर भरुकच्छ (भडौघ) से प्रतिष्ठान (पैठण), माहिष्मती (महेश्वर) होता हुआ एक बड़ा मार्ग उज्जयिनी आता था । वहाँ से विदिशा तक का मार्ग बहुत प्रचलित था। "विदिशा" नाम इस बात का द्योतक है कि इस नगर से होकर अनेक दिशाओं को मार्ग जाते थे । विदिशा से तुंबवन होकर एक मार्ग कान्यकुब्ज (कनौज) और मथुरा को जोड़ता
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