Book Title: Sramana 1990 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 112
________________ ( . ११० ) "सूरिमन्त्र नित्यकर्म' शाहङाध्याभाई महोकमलाल अहमदाबाद ने सन् १९३१ ई० में प्रकाशित है। १०. नेमिनाथफागु : मो० दलीचन्द देसाई के अनुसार २७ पद्यों में वि० संवत् १४०५ में २२ वें तीर्थंकर नेमिनाथ और राहुल की कथा का वर्णन किया है।' ११. शान्तिनाथ चरित का संशोधन संस्कृत में बृहद्गच्छ के गुणभद्रसूरि के शिष्य मुनिभद्र द्वारा लिखा गया था। यह १९ काण्डों में है जिनमें लगभग ५००० श्लोक हैं । यह बनारस से प्रकाशित है। राजशेखर ने १३५२-५३ में शान्तिनाथ चरित का संशोधन किया था । १२. द्वयाश्रय काव्य पर वृत्ति-१३३० ई० में राजशेखर सूरि ने हेमचन्द्रकृत 'प्राकृत द्वयाश्रय काव्य' पर एक वृत्ति लिखा है । १३. वृत्तित्रय पर निबन्ध-कात्यायन के ‘कातन्त्र व्याकरण' के आधार पर आचार्य राजशेखर सूरि ने 'वृत्तित्रय निबन्ध' नामक ग्रन्थ की रचना की है, ऐसा उल्लेख 'बृहट्टिप्पणिका' में है। डा० प्रवेश भारद्वाज ने अपने शोधप्रबन्ध में उपदेश चिन्तामणि' को मलधारिराजशेखर की कृति बताया है । इसका आधार जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग ५ में उपलब्ध उल्लेख है। परन्तु यह तथ्य से परे है। इस प्रकार हम देखते हैं कि राजशेखर बहुश्रुत लेखक थे और उनकी साहित्य रचना का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। १. देसाई, मो० द०, जैनगुर्जरक विओ, भाग १, बम्बई १९२५, पृ० १३ पाद टिप्पणी । २. जिनरत्नकोश पृ० ३८. ३. सण्डेसरा एण्ड ठाकरे, लेक्सिकोग्राफिकल स्टडीज़ इन जैन संस्कृत पृ० ४१ ओरिएण्टल इंस्टीट्यूट, बड़ौदा १९६२ द्रष्टव्य-डॉ० भारद्वाज, प्रवेश वही पृ० ४३ ४. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग ५, पृ० ५३, पा० वि० प्रकाशन ५. डॉ० भारद्वाज वही पृ. ४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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