Book Title: Sramana 1990 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 95
________________ जैनाचार्य राजशेखर सूरिः व्यक्तित्व एवं कृतित्व डा० अशोक कुमार सिंह संस्कृत वाङ्मय में राजशेखर नाम के तीन विद्वान् हुये हैं--प्रथम राजशेखर यायावर (९वीं-१०वीं शती) द्वितीय राजशेखर सूरि (१३वीं१४वीं शती) और तृतीय राजशेखर कुल्लूर (१८वीं शती)। राजशेखर यायावर कान्यकुब्ज के प्रतीहारवंशीयनरेन्द्र महेन्द्रपाल के उपाध्याय थे। अपनी रचना 'बालरामायण' की प्रस्तावना में इन्होंने स्वयं को 'उपाध्यायो यायावरीयराजशेखरः'' कहा है। इनकी माता का नाम शीलवती तथा पिता का नाम दुहिक या दुर्दुक था, जो महामन्त्री थे। इनका समय ई० सन् ८८० से ९२० के मध्य माना जाता है। मधुसूदन मिश्र ने भी यही समय स्वीकार किया है। वे इन्हें वाक्पतिराज के पश्चात् और सोमदेव के पूर्व उत्पन्न हुआ मानते हैं । मैक्समूलर ने राजशेखर यायावर और राजशेखर सूरि को एक मानकर कर्पूरमंजरीकार यायावर का समय १४वीं शताब्दी ई० माना है जो तथ्य से परे है। राजशेखर काव्यमीमासा, कर्पूरमंजरी, विद्धशालभंजिका, बालभारत, बालरामायण, भुवनकोश, हरविलास आदि कृतियों के कर्ता माने जाते हैं। यद्यपि हरविलास और भुवनकोश आज उपलब्ध नहीं हैं परन्तु आचार्य हेमचन्द्र ने काव्यानुशासन में इन ग्रन्थों का उल्लेख १. मिश्र, मधुसूदन-काव्यमीमांसा, पृ० १४, चौखम्भा संस्कृत सिरीज वनारस १९३८ । २. विश्वकोश, खण्ड-१०, पृ० ७७ ३. मिश्र, मधुसूदन-काव्यमीमांसा, पृ० १५ ४. ओझा, हीराचन्द्रः कवि राजशेखर का समय,, नागरी प्रचारिणी पत्रिका भाग ६ पृ० ३६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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