Book Title: Sramana 1990 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 101
________________ ( ९९ ) पंजिका' की प्रशस्ति में भी अपने गुरु श्री तिलकसूरि का उल्लेख किया है। मलधारिगच्छीय आचार्यों की कृतियों एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर हर्षपुरीयगच्छ की गच्छाधिपति और सूरि परम्परा इस प्रकार दी जा सकती है जयसिंहसूरि२ अभयदेवसूरि ( मलधारि) हेमचन्द्रसूरि विजयप्रभ श्रीचन्द्रसूरिः विबुधचन्द्रसूरिः लक्ष्मणगण मुनिचन्द्रसूरि देवभद्र देवानन्दसूरि यशोभद्रसूरि देवप्रभसूरि नरचन्द्रसूरि नरेन्द्रप्रभसूरि पद्मदेव श्रीतिलक श्रीराजशेखर सुधाकलश १. रत्नाकरावतारिका पंजिका मंगलाचरण ३ ।। रत्ना० पंजिका प्रशस्ति ४। द्रष्टव्य-डिस्क्रिप्टिव कैटलाग आव द मैनुस्क्रिप्ट्स, खण्ड १८/१ पृ० ७१, ७३ । २. कल्पसूत्र सुबोधिका-विनयविजयगणि-पृ० १६७-१६९ द्रष्टव्य-अलंकार महोदधि-नरेन्द्रप्रभसूरि प्रस्तावना गायकवाड ओरियण्टल सिरीज १९४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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