Book Title: Siri Santinaha Chariyam
Author(s): Devchandasuri, Dharmadhurandharsuri
Publisher: B L Institute of Indology
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| आइजिणेसर
* परिशिष्टम्
उसभ
सिरिसंति- * रयणावलि
वडमाणतव नाहचरिए
*जडिलकोसिय * सोमप्पह
तापस:
११५, ४३२
२० | नाभेय ६०१ | मल्लिजिण
मुणिसुव्वयसामि रिसहनाह
वद्धमाण ५९४, ६०० | वारिसेण
८९३ वीर ३३८, ३९६, ४०१, ४०२, | संति
४०३, ४०७ ४५२, ४६२, ४६६, ४६५
उसभनाह उसभसामि उसहनाह उसहसामि कुंथु खेमंकर
४३२
तापसपत्नी
अपवणवेगा
तापसपुत्रः
* धम्मिल
तीर्थकरः
घणरह चंदाणण
२, २५८, ६३९ २, १८७, ३०८, ५३७, ३३८, ५३९, ५४२, ५४३, ५५७, ५६९, ८७५, ८८१,
८८५, ८८९ ३, ५४४, ८७६, ८७७,
८८६, ८८७, ८९३ ५७५, ८८२, ८९१
४३८,
जयंत
अणंत अणंतजिण
अमियजस * अमियवाहण * अर
जुयाइजिण जुयाइदेव णाभेय
१२० संतिजिण
५९४ ११६, ११९, ६०४ | संतिजिणिंद
संतिजिणेस ८९४ । संतिजिणेसर
८९३ | नमिसामि
* ९०९
६२१, ८९५
*

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