Book Title: Siri Santinaha Chariyam
Author(s): Devchandasuri, Dharmadhurandharsuri
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 963
________________ * परिशिष्टम् सिरिसंति- * कडाह किंजंपीदीव नाहचरिए जंबुदीव पुक्खरवर पोक्खर पोक्खरखर रयणदीव रयणद्दीव सुवण्णदोव १४७, १५८ | ७०१ १८८, ८३४ ४, २०, २४६, ३८६, ३९५, ३९८, ३९९, ४२९, ४३९, ४४५, ४५६, ४५८, ४६६, ५२५, ५७७, ६३९, ६८२, ७२३, ८३९, ४, १२, १४, १९५, २८१, ३०७, ३२४, ३२७, ३३९, ४१४, ४२७, ४३१, ५२९, ५८०, ६२१, ७३२, ७५३, ७७३, ७९२, ८१० २७४, ४३३, ७९४ ४४८ १८३, ३१९,३३७, ५५५, ८९२ ४४९ / आयासतिलय ३१५ | उज्जेंत ६४ उड्डरुयग २४९, २५०, ७४२ उसहकूड ६३५ कणगगिरि गिरिपव्वय धर्मग्रन्थः जमलगिरि नीलवंत पुव्वयरुयग मणिसायर अहव्वेय जजुव्वेय रिउवेय सामवेय ५५०, ५५५, ७४८, रययगिरि नगः * धायइ रहावत्त * धायइसंड रोहण अंजण अंबरतिलय अट्ठावय * नंदीसर ८१ ६३३, ७४७, ७४८, ७४९,' ७६७ ३५७ ७५, ४५९ विझ * *९१३

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