Book Title: Siddhhemchandrashabdanushasanam
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Hemchandracharya Jain Gyanmandir Patan
View full book text
________________
श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकाराद्यनुक्रमः ।
न स्सः | २|३|५९ ॥ हाको लुप | ४|१| ४९||
नहात |२| १|८५ ॥
नाडीघटीखरी -श्व |५|१|१२०||
नाडीतन्त्रीभ्यां स्वाङ्गे | ७|३|१८०||
नाथः |२|२|१० ॥ नानद्यतन-त्त्योः |५|४|५||
नानावधारणे | ७|४|७४||
नान्यत् |२|१|२७||
नाप्रियादौ | ३ |२| ५३॥ नाभेर्नभू-शात् |७|१|३१||
नाभेर्नाम्नि | ७ | ३|१३४||
०
नामन्त्रये |२|१|९२|| नाम नाम्नैकार्थ्ये | ३|१|१८|| नामरूप-यः |७|२| १५८ || नाम सिद ने | १|१|२१|| नामिनः काशे | ३ |२|८७|| नामिनस्तयोः षः | २|३|८|| नामिनोऽकलिहलः | ४ | ३ |५१|| नामिनो गुणोऽक्ङिति |४|३|१|| नामिनोऽनिट् |४|३|३३|| नामिनो लुग्वा | १|४|६१ || नाम्नः प्रथमै - हौ |२| २|३१||· नाम्नः प्राग्-र्वा | ७|३|१२||
नाम्ना ग्रहादिशः | ५|४|८३||
नाम्नि | २|१|१५||
१३५
नाम्नि | २|४|१२||
नाम्नि | ३ |१| ९४ || नाम्नि | ३|२|१६||
नाम्नि | ३|२|७५ ||
नाम्नि | ३ |२| १४४ ||
नाम्नि | ६ | ४ | १७२ ।।
नाम्नि कः | ६ | २|४|| नाम्नि पुंसि च | ५ | ३ | १२१॥ नाम्नि मक्षिकादिभ्यः | ६|३|१९३|| नाम्नि वा | १|२| १०॥ नाम्नि शरदोऽकञ् |६|३|१००|| नाम्नो गमः - हः | ५|१|१३१|| नाम्नोद्विती-ष्टम् | ४|१|७|| नाम्नो नोऽह्नः | २|१|९१|| नाम्नो वदः क्यप् च |५|१|३५|| नाम्न्युत्तरपदस्य च | ३ |२| १०७||
नाम्न्युदकात् ।६।३।१२५ ।। नाम्यन्तस्थापि | २|३|१५|| नाम्यादेरेव ने | २|३|८६॥
नाम्युपान्त्य - कः | ५|१|५४|| नारी - सखी -श्रू | २|४|७६||
नाव: | ७ | ३|१०४॥ नावादेरिकः | ७|२|३॥ नाशिष्यगोवत्सहले | ३|२|१४८||
नासत्त्वाश्लेषे || ३ | ४|५७||
नासानति-टम् |७|१|१२७||
Jain Education International For Private & Personal Use Only + www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198