Book Title: Siddhhemchandrashabdanushasanam
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Hemchandracharya Jain Gyanmandir Patan
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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकाराद्यनुक्रमः ।
समः पृचैपूज्वरे: |५|२|५६||
समजनिपनिषद - णः | ५|३|१९|| समत्यपाभि-र: |५|२|६२||
समनुव्यवाद्रुधः |५|२|६३|| समयात् प्राप्तः | ६ |४|१२४|| समयाद्-याम् |७|२|१३७|| समर्थः पदविधिः | ७|४|१२२|| समवान्धात्तमसः | ७|३|८०|| समस्तहिते वा | ३ | २|१३९|| समस्तृतीयया | ३ | ३ |३२||
समांसमीना | ७|१|१०५|| समानपूर्व- तू | ६ | ३ | ७९ ।। समानस्य धर्मादिषु | ३ |२| १४९ ॥ समानादमोऽतः | १|४|४६|| समानानां-र्घः | १|२|१|| समानामर्थेनैकः शेषः । ३|१|११८|| समाया ईनः | ६|४|१०९ ॥
समासान्तः | ७|३|६९ || समासेऽग्नेः स्तुतः |२|३|१६||
समासेऽसमस्तस्य । २।३।१३।।
समिणा सुगः | ५ | ३|९३॥ समिध-:
प-न्यण् |६|३|१६२||
समीपे ||३|१|३५|| समुदाङ यमेग्रन्थे | ३ | ३|९८ || समुदोऽजः पशौ | ५ | ३ |३०||
समुद्रान्नृनावो: |६| ३|४८||
समूहार्थात्समेवते |६|४|४६ || सर्मेंशेऽर्द्धं नवा | ३|१|५४।। समो गमृ-शः | २|३|८४|| समो गिरः | ३ | ३|६६ || समो ज्ञो वा | २२|५१ || समो मुष्टौ |५|३|५८|| समो वा |५|१|४६|| सम्राजः क्षत्रिये | ६ | १|१०१ ||
सम्राट् | १|३|१६|| सयसितस्य |२| ३ | ४७|| सरजसोप-वम् |७|३|९४|| सरूपाद् द्रेः—वत् |६|३|२०९|| सरोऽनो-म्नोः | ७|३|११५ ।। सर्तें: स्थिर-मत्स्ये |५|३|१७|| सर्त्त्यर्त्तेर्वा | ३|४|६१|| सर्वचर्मण ने | ६ |३|१९५|| सर्वजनाण्ण्येनञौ | ७|१|१९ ॥ सर्वपश्चा - यः | ३|१|८०| सर्वाणो वा | ७|१|४३|| सर्वात् सहश्च | ५ | १|१११ || सर्वादयोऽस्यादौ | ३|२|६१॥ सर्वादिविष्वगुञ्चौ | ३|२| १२२|| सर्वादेः प-ति |७|१|९४||
सर्वादेः सर्वाः |२|२|११९|| सर्वादेः स्मै-स्मातौ | १|४|७||
सर्वादेर्डसूपूर्वाः | १|४|१८||
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