Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013
Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 5
________________ रानी यह खबर सुनते ही विचलित हो उठी।। Mang Jain Education International सिद्धचक्र का चमत्कार 4999 "मंत्रीजी, किसी भी प्रकार कुमार श्रीपाल की रक्षा का प्रबंध कीजिए। मंत्री की व्यवस्था के अनुसार रानी राजकुमार को अपने साथ लेकर महलों के गुप्तद्वार से अंधेरी रात में जंगल की ओर अकेली निकल पड़ी। रात के घुप अंधेरे में सांय-सांय करते जंगल में रानी ठोकरें खाती, गिरती उठती राजकुमार की अंगुली पकड़े भटकने लगी। महारानी जी, ऐसे समय में राजमहल के किसी भी परिचारक पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है, अतः आप तुरंत राजकुमार को लेकर गुप्तद्वार से चंपा से दूर कहीं जाकर छुप जाइए.. 0000000 500000000 हे प्रभु, ऐसे संकट के समय केवल आपका ही सहारा है। सत्य और शील हम दोनों की रक्षा करें। 3 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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