Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013
Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिवाकर • चित्रकथा सिद्धचक्र का चमत्कार अंक १३ मूल्य १७.०० सुसंस्कार निर्माण विचार शुद्धिः ज्ञान वृद्धि मनोरंजन swww.jainelibrary org Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्ध चक्र का चमत्कार शरीर शक्ति से हजार गुनी प्रखर बुद्धि शक्ति है, लाख गुनी प्रज्ञा शक्ति तो अनन्त गुनी प्रचण्ड है आत्म शक्ति। आत्म शक्ति को अध्यात्म शक्ति भी कहते हैं। साधारण मानव जिस कार्यसिद्धि की कल्पना भी नहीं कर सकता, वे कार्य अध्यात्म शक्ति के जागरण से सहज ही सम्पन्न हो जाते हैं। इसलिए वे कल्पनातीत कार्य, सिद्धियाँ मनुष्य को चमत्कार प्रतीत होते हैं। नवकार महामंत्र अध्यात्म शक्ति का अक्षय स्रोत है। नवकार मंत्र में पंच परमेष्टी का स्मरण कर उस भाव में आत्म-रमण किया जाता है। इन पाँच पदों के साथ ज्ञान-दर्शन- चारित्र-तप रूप चार पद का भी अपूर्व अचिंत्य महत्व होने के कारण इसे नवपद भी कहा जाता है। नवपद की आराधना का जैन परम्परा में विशिष्ट महत्व है। नवपद की संरचना बताने वाली आकृति सिद्धचक्र के रूप में प्रसिद्ध है। इसलिए नवपद आराधना या सिद्धचक्र आराधना का एक ही अर्थ है लोकोत्तम शक्तियों की उपासना / आराधना कर आत्म-रमण करना । हजारों वर्ष पूर्व मैनासुन्दरी ने नवपद की आराधना की थी। मैनासुन्दरी अटूर आत्मविश्वास, दृढ़निष्ठा तथा कर्म सिद्धान्त के प्रति समर्पित ज्ञानमयी शक्ति का रूप है। उसने संसार को यह बता दिया कि अपने सुख-दुख का कर्त्ता आत्मा स्वयं ही है और स्वयं ही उसका फल भोगता है। ज्ञान और कर्म का सामंजस्य है उसके जीवन में। धर्मनिष्ठा के साथ आदर्श पतिव्रत-धर्मकर्त्तव्य-परायणता और सुख-दुख में तनाव मुक्त संतुलित जीवन जीने की शैली मैनासुन्दरी से सीखनी चाहिए। कष्टों, भयों व प्रताड़नाओं के झांझावात में भी मैनासुन्दरी ने आत्मविश्वास और नवपद-श्रद्धा का दिव्य दीपक बुझने नहीं दिया। उसने ज्ञानी गुरू जनों से नवपद आराधना की विधि सीखकर साधना द्वारा जो कुछ चमत्कार अनुभव किये समूचा संसार उसके सामने विनत हो गया। मैनासुन्दरी की आराधना के आदर्शानुरूप आज भी हजारों श्रद्धालु नवपद ओली तप के रूप में यह आराधना करके सुख-शान्ति की अभिवृद्धि का अनुभव करते हैं। प्रस्तुत सिद्धचक्र का चमत्कार में श्रीपाल - मैनासुन्दरी के पवित्र चरित्र का एक भाग चित्रित है। अनुयोग प्रवर्तक उपाध्याय मुनिश्री कन्हैयालाल जी म. 'कमल' के विद्वान शिष्य श्री विनय मुनिजी ने इसमें नवपद अर्थात् सिद्धचक्र आराधना- फल की रोचक कथा प्रस्तुत की है। —-श्रीचन्द सुराना सरस लेखक श्री विनय मुनि " वागीश संयोजक एवं प्रकाशक संजय सुराना संपादक श्रीचन्द सुराना 'सरस' © सर्वाधिकार प्रकाशकाधीन राजेश सुराना द्वारा दिवाकर प्रकाशन ए 7, अवागढ़ हाउस, एम. जी. रोड, आगरा-282002 दूरभाष : (0562) 351165, 51789 के लिये प्रकाशित एवं लक्ष्मी प्रिंटींग प्रेस में मुद्रित चित्रण डा. त्रिलोक 1555 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार चम्पानगरी के राजा सिंहस्थ थे। उनकी रानी कमलप्रभा ने सुन्दर एक पुत्र को जन्म दिया। बड़ी मनोतियों के बाद पुत्र होने के कारण राजा ने धूमधाम से पुत्र का जन्मोत्सव मनाया। का यह पुत्र हमारी राज्यलक्ष्मी एवं प्रजा का पालनहार होगा, इसलिए इसका नाम 'श्रीपाल' रखेंगे। कुमार श्रीपाल चिरायु हो! प्रमा ने जय-जयकार के साथ राजा की घोषणा का स्वागत किया। .. Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार श्रीपाल आठ वर्ष का भी नहीं हुआ था कि अचानक उसके सिर से पिता का साया उठ गया। राजा की मृत्यु के कारण पूरे राजमहल में रुदन विलाप का मनहूस वातावरण छा गया। ARUM Asledis ADDA LSAN TIMILIARUIT सिंहस्थ राजा का छोटा भाई अजितसेन था। उसने महल के एक वफादार परिचारक ने इस षड्यंत्र की इस मौके का फायदा उठाने के लिए अपने पक्ष के सूचना मंत्री मतिसागर को दी। मंत्री मतिसागर तुरंत लोगों से मंत्रणा की। महारानी कमलप्रभा के पास पहुँचा और बोला"अभी पूरा राजपरिवार शोक में डूबा है, "महारानी जी ! इस संकट के समय इस मौके का लाभ उठाकर हमें राज्य पर अपने भी शत्रु बन गये हैं। महाराज के अधिकार जमा लेना चाहिए।" छोटे भाई अजितसेन राज्य हथियाने के PIC लिये आपकी व राजकुमार की हत्या का "और महारानी एवं A षड्यन्त्र रच रहे हैं। राजकुमार को बन्दी बनाकर किसी गुप्त स्थान पर.... Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रानी यह खबर सुनते ही विचलित हो उठी।। Mang सिद्धचक्र का चमत्कार 4999 "मंत्रीजी, किसी भी प्रकार कुमार श्रीपाल की रक्षा का प्रबंध कीजिए। मंत्री की व्यवस्था के अनुसार रानी राजकुमार को अपने साथ लेकर महलों के गुप्तद्वार से अंधेरी रात में जंगल की ओर अकेली निकल पड़ी। रात के घुप अंधेरे में सांय-सांय करते जंगल में रानी ठोकरें खाती, गिरती उठती राजकुमार की अंगुली पकड़े भटकने लगी। महारानी जी, ऐसे समय में राजमहल के किसी भी परिचारक पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है, अतः आप तुरंत राजकुमार को लेकर गुप्तद्वार से चंपा से दूर कहीं जाकर छुप जाइए.. 0000000 500000000 हे प्रभु, ऐसे संकट के समय केवल आपका ही सहारा है। सत्य और शील हम दोनों की रक्षा करें। 3 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार जंगल में भटकते हुए रानी को सैकड़ों आदमियों की एक टोली आती दिखाई दी। वह डर गई और पेड़ की ओट में छुप कर देखने लगी शायद अजितसेन के सिपाही आ रहे हैं? नजदीक आने पर रानी ने देखा, ये सिपाही नहीं, अपितु कोई दुःखी रोगी लोगों का दल था। अरे ! ये तो सब महारोग से ग्रस्त दीख रहे हैं। कोढियों का कोई दल है। - दुःखी से दुःखी को हमदर्दी होती है। रानी उनके पास आ गई और पूछा(भाई, आप कौन हैं? कहाँ से माता; हम सब कोढी हैं, हमारा आ रहे हैं, कहाँ जा रहे हैं? 000 कोढियाँ का दल हैं, गाँव-नगर में हम रह नहीं सकते, इसलिए इसी प्रकार जंगल-जंगल घूम रहे हैं। रानी आश्चर्य के साथ देखती रही। www.lainelia Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्रचक्र का चमत्कार कोढियों के नेता (राजा) ने पूछा माता, हम तो दुःखी रोगी हैं। मंगल जंगल भटकना ही हमारी तकदीर हैं, आप तो किसी अच्छे खानदान की लगती हैं, ऐसी क्या आपत्ति आ गई आप पर.....? रानी ने अपने को छुपाने की कोशिश करते हुए कहा भाई ! मैं भी किसी घर की लक्ष्मी हूँ, परन्तु तकदीर की मारी आज अकेली भटक रही हूँ। अगर तुम लोग आज्ञा दो तो मैं भी तुम्हारे साथ-साथ चलती रहूँ। कोढी नेता बोला माताजी, आपके साथ यह राजकुमार सा बालक भी है, हमारी संगत से कहीं इसको भी कुछ रोग लग गया तो.....? नहीं ! ऐसा मत कीजिए...., Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रानी ने कहा सिद्धचक्र का चमत्कार भाई, जो होना है उसे कौन रोक सकता है... जैसी प्रभु इच्छा ! जंगल में अकेली बच्चे को लिये घूमूँगी तो भी तो को खतरा हो सकता है। Songs बहुत सोच विचार के बाद कोढियों के राजा ने कहा ठीक है माताजी, जैसी आपकी इच्छा, लीजिए आप बालक को लेकर इस टट्टू पर बैठ जाइए... यह बालक आज से हमारा 'राजा' होगा। हम इसे उम्बर राणा कहेंगे। अरे, इधर किसी स्त्री को बच्चे के साथ जाते देखा है तुमने .....? 15. रानी ने श्रीपाल को अपने आंचल से ढंक लिया और स्वयं टट्टू पर बैठकर सफर तय करने लगी। कुछ ही देर बाद अजितसेन के सिपाही उधर आ गये, कोढियों को देखकर दूर से ही पूछने लगे ga MA . Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोढी सिपाहियों को घेरकर बोलने लगे con ///MZAPOO सिद्धचक्र का चमत्कार हमने तो किसी को इधर आते जाते नही देखा, फिर भी शक है तो हमारी तलाशी ले लो...... कुछ समय बाद कोढियों के संसर्ग से राजकुमार श्रीपाल को भी महारोग हो गया। यह देखकर रानी की आँखें भर आईं हे प्रभु! यह कैसी कर्मों की लीला है ? मौत से बचकर भागे तो महारोग ने घेर लिया....... 7 हटो हटो ... हमें छूना मत | एकदिन रानी ने सोचा 50. Manc इस जंगल में अनेकों चमत्कारी जड़ी-बूटियाँ हैं, मैं कहीं से महारोग की औषधि खोज कर लाऊँ और अपने बच्चे को रोगमुक्त कराऊ। The DCO. सिपाही आगे चल पड़े। राजकुमार को कोढ़ियों के सहारे संभलाकर रानी अकेली जंगल में निकल पड़ी। www.jainglibrary.org. Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार राजकुमार को साथ लिए कोढियों का दल कई वर्षों तक जंगलों में घूमता रहा। एक दिन दल घूमता हुआ मालव प्रदेश की सीमा में पहुँच गया। मालवा की राजधानी उज्जयिनी में उन दिनों राजा प्रजापाल राज्य करते थे। उनकी दो रानियाँ थीं, सौभाग्यसुन्दरी और रूपसुन्दरी । सौभाग्य सुन्दरी अहंकारी थी। उसकी पुत्री का नाम था सुरसुन्दरी । रूपसुन्दरी चतुर और धार्मिक स्वभाव की थी। उसकी कन्या का नाम था मैना सुन्दरी। राजा ने दोनों कन्याओं की शिक्षा के लिये एक कलाचार्य को नियुक्त किया हुआ था। एक दिन कलाचार्य दोनों कन्याओं को लेकर राजदरबार में उपस्थित हुए म Eh Education International महाराज, आपकी आज्ञानुसार मैंने राजकुमारियों को साहित्य; संगीत-नृत्य आदि चौंसठ कलाओं में निपुण कर दिया है। आप चाहें तो इनकी परीक्षा ले सकते हैं। PAORD 8 "Car www.jainelibrary dige Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार राजा ने कलाचार्य का सन्मान कर दोनों कन्याओं || बड़ी कन्या सुरसुन्दरी बोलीकी परीक्षा ली। परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर राजा का मन बहुत सन्तुष्ट हुआ। राजा ने कहा पिताजी, संसार में दो ही जीवन दाता हैं, एक मेघ, दूसरा राजा। पुत्रियों, हम आज बहुत प्रसन्न हैं। इसलिए आपकी कृपा से मैं सदा तुम जो चाहो, सो मांग लो। हम सुखी रहूँ बस यही चाहती हूँ। सब कुछ तुम्हें दे सकते हैं। WwwRKNAAT ATTER LINEERINTRVIEHRE कन्या के उत्तर से सभासदों ने तालियाँ बजाई वाह ! वाह ! कितनी बुद्धिमान और समझदार है यह! | मैनासुन्दरी को मौन देखकर राजा ने कहा बेटी मैना ! तू मौन क्यों है? तू भी कुछ मांग...? जो मांगोगी सोदूँगा... nha मालय राजा का हृदय भी सुरसुन्दरी के उत्तर से बाग-बाग हो गया। Pos talion International For Private &Personal use only - Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैना ने गंभीर होकर कहा पिताजी, मुझे क्षमा करें। मैं मुँह मीठी बातें करके आपको धोखे में नहीं रखना चाहती! सच यह है कि सुख-दुःख तो मनुष्य को अपने कर्मानुसार मिलते हैं। मांगने की दीनता और देने का अहंकार दोनों ही व्यर्थ हैं मैना ने हाथ जोड़कर कहा Poooo पिताजी ! आप क्रोध न करें। मैंने तो धर्मशास्त्र में यही पढ़ा है, और इसी पर मेरा विश्वास है। सुख-दुःख की कर्ता आत्मा स्वयं ही है, तथा वह स्वयं ही इसका फल भोगती है।" गल Jin Education International सिद्ध चक्र का चमत्कार मैना की बातें सुनकर समूची सभा स्तब्ध रह गई। राजा की आँखों से अंगारे बरसने लगे। DODOM CL.C मैना ! तुम्हें होश है, क्या बोल रही हो ? राजा ही धरती का ईश्वर होता है... तुम ऐसी मूर्खता भरी बातें करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मत मारो! LERY RECE राजा प्रजापाल क्रोध में तमतमा उठे। सभा में भी घुसर- फुसर होने लगी। बात बढ़ती देखकर चतुर मंत्री ने राजा से निवेदन किया महाराज ! अभी आपके उद्यान भ्रमण का समय हो गया। इन बातों को कल पर छोड़ दीजिए। 10 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार राजा प्रजापाल ने सभा से उठते-उठते मैना की तरफ घूरकर देखा और बोला Tag En ख 30 घोड़े पर बैठकर सैनिकों के साथ राजा प्रजापाल बगीचे की तरफ चल दिये। दूर से मनुष्यों का एक विशाल दल पैदल | चलता आता दिखाई दिया। सबसे आगे एक व्यक्ति झंडा लिये चल रहा था। प्रजापाल ने अपने दूत को कहा Con: 110.333. "इस मूर्ख और जिद्दी कन्या को अब मैं बता दूँगा... सुख-दुःख देने वाला कौन होता है?" TO पता करो, यह भीड़ कहाँ से आ रही है? कौन हैं यह लोग ? 11 Today bapp दूत पता लगाने चल दिया। www.jalnelibrary.arg Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार दूत ने लौटकर राजा को सूचना दी | राजा ने कोढ़ियों को अपने पास बुलवाया। महाराज ! 600 कोढ़ियों का एक दल है। वे आपसे कुछ पाने की आशा से इधर आये हैं। बोलो, तुम लोगों को क्या चाहिए? रहने के लिए भूमि! खाने के लिए भोजन ! जो चाहिये सब उपलब्ध करा दिया जायेगा। DS ORNO Ins कोढ़ी बोले नहीं, महाराज ! यह सब तो मिल ही जाता है। हमारा उम्बर राणा कुंवारा है, हमें इसके लिए एक Heaso रानी चाहिए... SK 0000 25 daond' 10008 A DDDDDDD 12 For Private & Personal use only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यह सुनते ही राजा चौंक गया। सिद्धचक्र का चमत्कार उस अहंकारी और जिद्दी कन्या के "भाग्य में शायद यही पति लिखा है, इसे अब पता चलेगा, सुख-दुःख राजा देता है, या कर्म ! OT क्या कहा.... रानी ? इस कोढी को कौन पिता अपनी कन्या देगा...? अपनी प्रशंसा सुनकर राजा प्रजापाल का अहंकार प्रजापाल जाग उठा। उसे मैनासुन्दरी का ध्यान आ गया। ლეი Downl महाराज की जय हो ! 13 महाराज ! आप जैसे दानवीर कर्ण के अवतार किसी को निराश नहीं करते। हम तो इसी आशा से आपके नगर में आये हैं.. ने कुछ 'देर सोचा, फिर कोढियों के नेता से बोला ठीक है ! हम तुम्हें रानी भी देंगे... अपने दूल्हे को सजाकर कल राजसभा में ले आओ। m 02 wom MB Com Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार अगले दिन कोढ़ियों ने उम्बर राणा को सजाकर दूल्हा बनाया और गाते-नाचते बारात सजाकर राजसभा में जा पहुंचे। हमारा उम्बर राणा बनेगा दूल्हा राजा Olood लायेगा प्यारी प्यारी रानी दुल्हनिया। alon 20irkee YOU बारात देखकर राजा ने मैनासुन्दरी को सजाकर राजसभा में उपस्थित करने का आदेश दिया। मैनासुन्दरी दरबार में आई तो उसे देखकष्ट राजा की आँखें क्रोध और अहंकार से लाल हो गईं। AM मैना, क्या तुम आज भी यह मानती हो कि सुख-दुःख देने वाला राजा "/पिताश्री ! यह तो ललल नहीं, तुम्हारा कर्म है...? अटल सत्य है! QO okoooo WImmon (AALOTRA SonDDAMODDA जत NETON सा IDDथान daGud JUDIES HI ) 14 www.a Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजा ने 220 घूरकर देखा। सिद्धचक्र का चमत्कार मूर्ख जिद्दी बालिके ! देख अब तेरे कर्म क्या गुल खिलाते हैं...? यह तेरी तकदीर सामने खड़ी है इसी के साथ तेरा विवाह होगा... 'महाराज ! ऐसा अन्याय मत कीजिए। इस कोमल सुन्दर फूल सी कन्या को कीचड़ में मत फेंकिए। 000 हाँ! महाराज ऐसा अनर्थ मत कीजिए। कोलाहल सुनकर राजा ने उत्तेजित होकर कहा शांत हो जाओ, मैं जो कर रहा हूँ। वह ठीक है इस मूर्ख कन्या के भाग्य का यही फैसला है..... Juane www राजा की बात सुनते ही सारी सभा स्तब्ध रह गई। यह खबर मैनासुन्दरी की माँ रानी रूपसुन्दरी तक पहुँची तो वह घबराई हुई राजदरबार में आयी और महाराज के पांव पकड़कर रोती हुई बोली ממרב, राजदरबार में उपस्थित सभी व्यक्ति राजा को रोकने का प्रयास करने लगे। 15 ww GO www.jainelibrary org Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार राजा ने उम्बर राणा से कहा आगे बढ़ो, हम इस कन्या का हाथ DID तुम्हें दे रहे हैं? इसे स्वीकारो! JAIAI आज से तुम्हीं इसके स्वामी हो.... AAWww WA MMO 2550 राजा सभा में चारों ओर सन्नाटा छाया रहा। बड़े ही गमगीन वातावरण में उम्बर राणा टट्टू पर आगे बढ़ा। मैना ने सहम भावपूर्वक कोढी श्रीपाल के गले में वरमाला डाल दी। शहनाईयों की धुन बजने लगी। सभी देखने वालों की आँखों में से आँसू बरसने लगे। (महाराज ने यह ठीक नहीं किया। कितना बड़ा अन्याय है। M Oreole) R VODoppp SOE ODD For Private & Personal use only inelibrary.org Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार राजा ने उन्हें ठहरने के लिए नगर के बाहर एक पुराना खंडहर-सा भवन दे दिया। रात को जब मैनासुन्दरी श्रीपाल के निकट आकर चरण स्पर्श करने लगी तो श्रीपाल अचकचाकर बोल उठा VEED 로 मैना ने श्रीपाल के मुँह पर हाथ रखते हुए कहा ना ! ना ! मुझे स्पर्श मत करना ! मेरे स्पर्श से तुम्हारी यह कंचन काया भी गल जायेगी। तुम मुझसे दूर रहकर कहीं भी सुख से.. नहीं, नहीं स्वामी ! ऐसी अशुभ बात मुँह से मत निकालिए। पत्नी तो छाया की तरह पति के साथ ही रहती है.. अब हम दोनों का सुख-दुःख एक है। 17 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार श्रीपाल की आँखें भर आईं। देवी ! तुम कितनी महान हो। मेरा मन कहता है, तुम्हारी छाया पड़ते ही अब मेरे कष्ट दूर हो जायेंगे। मैना अपने आँचल से आँसू पोंछते हुए बोली मैना और श्रीपाल रातभर सुख-दुःख की बातें करते रहे। श्रीपाल को नींद लग गई तो मैना सोचती रही। पिताजी ने जो कुछ किया है, वह तो मेरे ही कर्मों की प्रेरणा से हुआ है। अब मैं कुछ ऐसा धर्म कृत्य करूं कि अशुभ कर्मों की काली घटा हटे और शुभ कर्मों का सूर्य उदय हो... यदि हमारे भाग्य में सुख लिखा है तो दुःख की यह काली रात जल्दी ही बीत जायेगी... हमें कुछ धर्म आराधना करनी चाहिए। 18 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार अगले दिन मैनासुन्दरी प्रातः जल्दी उठ गई। पास ही जंगल से लकड़ियाँ लाई और अपने हाथ से भोजन बनाकर श्रीपाल को खिलाया। कोढ़ियों के नेता ने यह देखा तो गद्-गद् होकर बोला धन्य है देवी ! तुम्हारे जैसी धर्मशीला पतिव्रताओं से ही संसार का कल्याण होगा। Sowe हाँ, अब तो हम अपने सब दुःख भूल गये और लगता है इस देवी के प्रताप से उम्बर राणा का ही नहीं, हमारा भी उद्धार हो जायेगा... नगर के जिस उद्यान के बाहर कोढ़ियों का दल ठहरा था, उसी उद्यान में एक तपस्वी ज्ञानी मुनिराज का आगमन हुआ। लोगों को आते-जाते देखकर मैना ने किसी पथिक से पूछा भाई! आज उद्यान में इतनी भीड़ कहाँ जा रही है? میلیونی TAH बहन, तुम्हें मालूम नहीं, एक बड़े ही ज्ञानी तपस्वी मुनिराज आये हैं। हम सभी उनके दर्शन करने जा रहे हैं? m 19 Education Intemational worwjainelibrary.org Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार मैना और श्रीपाल भी तपस्वी मुनि के पास पहुँचे और अपनी व्यथा बताई। मुनि ने उन्हें नवपद की आराधना करने का उपदेश दिया। नवपद की आराधना विधि सीखकर मैना श्रीपाल को लेकर वापस अपने निवास उद्यान बाहर खण्डहर में आ गई। हरकत Cu स्वामी, ये तपस्वी मुनिराज बड़े ही ज्ञानी लगते हैं। हम इनके बताये अनुसार आयम्बिल पूर्वक नवपद की आराधना करेंगे तो अवश्य ही हमारे कष्ट दूर हो जायेंगे.... आश्विन शुक्ला सप्तमी से दोनों ने नवपद की आराधना प्रारम्भ कर दी। काँसे की थाली में रोली अक्षत से सिद्धचक्र महामंत्र की आकृति माँड़ी। एक श्रावक ने उनके आयम्बिल की व्यवस्था भी कर दी। • नवपद एवं सिद्धचक्र की आराधना विधि पुस्तक के अन्त में देखें। 20 मो Categ उपसे स्वाहा rabar अजयम रा Plura 9322 www.jainelibrary.or Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार नौ दिनों तक आयम्बिल सहित नवपद का अखण्ड पाठ एवं सिद्धचक्र की आराधना चलती रही। श्रीपाल सहित सभी कोढ़ी श्रद्धापूर्वक देव गुरु धर्म की आराधना करते रहे। ॐ नमो अरिहंताणं ॐ नमो सिद्धाणं... ॐ नमो तवस्स... TD 2005 se. नौवें दिन मैनासुन्दरी ने सिद्धचक्र का प्रक्षालित जल श्रीपाल पर छिड़का। श्रीपाल ने कहाआह ! अद्भुत शान्ति महसूस हो रही है। देखो देवी, मेरी काया भी जल के छींटे पड़ते ही कंचन सी दमकने लगी। लगता है हजारों योद्धाओं का शक्ति-बल मेरे अन्दर समा गया है। मेरा महारोग समाप्त हो गया। आयम्बिल = पूरे दिन में एक समय नमक एवं चिकनाई रहित एक ही प्रकार का धान खाकर रहना। PrivatePersonalUSEOnly www.jaineliborg tion-international Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार | श्रीपाल की बातें सुनकर सभी कोढ़ी एकत्र हो गये। अरे देखो, भगवान ने क्या चमत्कार किया है। हमारा उम्बर राणा बिलकुल देवकुमार जैसा दीखने लगा है... NIN मैनासुन्दरी ने सिद्भचक्र का अभिमंत्रित जल सभी कोढ़ियों के शरीर पर छिड़का। आराधना-साधना श्रद्धा और शील-शक्ति ने अपना दिव्य प्रभाव दिखाया। १ल C अरे! यह क्या चमत्कार हुआ? कुछ क्षणों में ही हम सब स्वस्थ और सुन्दर दीखने लगे। 22 Hal Education Intemational For Private & Personal use only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार मैनासुन्दरी ने कहा बंधुओ ! यह सब भाव भक्तिपूर्वक की गई नवपद की आराधना और सिद्धचक्र का चमत्कार है। आप सब रोग-मुक्त हो गए। धन्य है गुरुदेव की कृपा !! उन व्यक्तियों ने मैनासुन्दरी से कहा SA SING बहन ! हम सबको नया जीवन मिला है, अब हमें अपने-अपने घर जाकर । परिवार से मिलना चाहिए। सभी 000 व्यक्ति अपने-अपने नगर की तरफ चले गये। मैना-श्रीपाल वहीं उसी उद्यान में रहने लगे। श्रीपाल की माता कमलप्रभा भी घूमती-घूमती एक दिन उम्जयिनी के इसी उद्यान में आकर वृक्ष के नीचे बैठी थी कि श्रीपाल ने उसे पहचान लिया अरे, यह तो मेरी माँ है। कितने वर्ष हो गये इनसे बिछुड़े हुये। in Education International For Privale & Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्रचक्र का चमत्कार Dur مل کر श्रीपाल पास पहुँचकर अपनी माँ के चरणों में लिपट गया। कमलप्रभा अचकचा गई। la माँ ! कहाँ चली गई थीं तुम मुझे छोड़कर...? माँ ! मैं आपका पुत्र बेटा ! तुम कौन हो? VAATAWAN श्रीपाल ! और यह है आपकी बहू मैना.... ५ 2014 Mon: LE 384 AMPA -LA मेरा बेटा श्रीपाल ! यह सब क्या देख रही हूँ मैं... तुम बिल्कुल ठीक हो गये.... कैसे हुए.....? ar माँ! यह सब इस देवी की श्रद्धा, भक्ति और शील का चमत्कार है.....A 11/मैनासुन्दरी ने भी माता के चरण छूए। कमल प्रभा ने दोनों को हृदय से लगा लिया। बहुत देर तक एक-दूसरे को अपनी-अपनी आत्म-कथा सुनाते रहे। कमलप्रभा उसी उद्यान में श्रीपाल-मैनासुन्दरी के साथ रहने लगी। 24 Jan Education International Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ حبة » सिद्रचक्र का चमत्कार एक दिन श्रीपाल-मैना मुनिराज के दर्शन करके लौट रहे थे कि मार्ग में ही उधर से आती रानी रूपसुन्दरी दिखाई दी। रानी ने मैना को एक सुन्दर दिव्य पुरुष के साथ देखा तो विचारों में उथल-पुथल मच गई। मैनासुन्दरी का विवाह तो एक कोढ़ी पुरुष के साथ हुआ था.... यह सुन्दर राजकुमार कौन है इसके साथ......? क्या इसने उस पुरुष को छोड़कर किसी दूसरे पुरुष का संग कर का लिया...छी छी... कैसी पापिनी है? mondhah LAN ons । NCR IS मैना ने अपनी माता को देखा तो वह उसकी ओर दौड़ी आई/ wwa माँ ! आप यह क्या कह रही हैं? मैं आपकी पुत्री हूँ मैना... Del हाँ हाँ! तेरा विवाह तो एक कोढ़ी पुरुष के साथ हुआ था न....? यह कौन है सुन्दर छैल छबीला....? Chilhear COMEDIC WCVIMANDA छी कलंकिनी ! मुझे अपना काला मुँह मत दिखा.... मुझे स्पर्श | भी मत करना...। RPIODIO 25 For Private & Personal use only JanEducation Intemational . Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार मैना माता की नफरत का कारण समझ गई। वह रूपसुन्दरी ने मैना से क्षमा माँगीउसे अपने घर पर ले आई। मैना के कहने पर रानी कमलप्रभा ने छपसुन्दरी को बताया पुत्री ! मुझे माफ कर देना। तुझ पर असत्य आरोप लगाया। यह मेरा पुत्र श्रीपाल है... चम्पा के महाराज सिंहस्थ का पुत्र। कोढ़ियों के संसर्ग से कुष्टरोग लग गया था, नहीं माँ ! ऐसा तो किन्तु अब तुम्हारी पुत्री के भाग्य से होता ही रहता है.... बिलकुल ठीक हो गया है। तब तक मैनासुन्दरी के मामा राजा पुण्यपाल भी अपनी बहन रूपसुन्दरी को ढूँढ़ता हुआ वहाँ आ पहुँचा। मैना ने उसे पूरी घटना सुना दी। वह बोला बेटी, जिस दिन से तुम घर से विदा हुई। उसी दिन से तुम्हारी माँ राजमहल को त्यागकर मेरे यहाँ आ गई। यह तुम्हारी याद में आंसू बहाती रहती है। चलो बेटी, अब हम सब एक साथ महल में रहेंगे। बेटी, आज मैं सब दुःख भूल गईहूँ किसी ने सच कहा है, दुःख की रात के बाद सुख का सूरज उगता ही है। TIO E0% SIOpto पुण्यपाल सबको अपने महल में ले आया। 26 www.jalnelibrary.org Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्रचक्र का चमत्कार इधर राजा प्रजापाल पुत्री के साथ किये एक दिन मन बहलाने के लिए राजा उद्यान भ्रमण करने निकले अन्याय पर रात-दिन पश्चात्ताप करते तो उद्यान के पास पुण्यपाल के महल की ओर ऊपर उनकी निगाह रहते थे। मैंने कितने पाप किये हैं? | चली गई। महल के झरोखे में मैनासुन्दरी पति के साथ बैठी पुत्री और पत्नी को कितने साहसी-मजाक करती दीखी। राजा प्रजापाल एकदम गंभीर हो गये। कष्ट दिये हैं...? रानी यह क्या? मैना किसी रूपसुन्दरी भी घर पराये राजकुमार के छोड़कर चली गई। साथ बैठी है? छि:छि: मेरे कुल को डुबो दिया इसने...? अनेक बुरे विचारों में उलझे उत्तेजित से हुए राजा प्रजापाल पुण्यपाल के भवन में आ धमके। और मैना को बुलाकर फटकारने लगे- मझे आशा नहीं थी कि मेरी बेटी ऐसी नीच निकलेगी...? मैंने एक कुष्टी युवक के साथ। इसका विवाह किया था, परन्तु आज तो यह एक सुन्दर देवकुमार से पुरुष के साथ महलों में बैठी मनोरंजन कर रही है। धिक्कार है इसे.... AAD Sammmmmmco 27 For Private & Personal use only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्भचक्र का चमत्कार राजा की बातें सुनकर सभी मुस्कराने लगे। पुण्यपाल ने कहा महाराज ! यह आप क्या कह रहे हैं? यह पर-पुरुष नहीं, किन्तु वही कोढ़ी उम्बर राणा है, जो वास्तव में चम्पानगरी के राजा सिंहस्थ का पुत्र श्रीपाल है! रावा हैं...। सच...? यह । सब क्या रहस्य है? A मैनासुन्दरी ने उन्हें पूरी घटना सुनाकर कहा- मैनासुन्दरी के वचन सुनकर राजा की आँखों से पिताजी ! आप यदि इनके हाथ में हर्ष के आँसू बहने लगे। मेरा हाथ नहीं देते तो यह सब कैसे बेटी, तू महान् है, जो पिता होता? धर्म के प्रभाव से तकदीर की के अन्याय को भी उपकार तस्वीर बदलते क्या देर लगती है...? मान रही है.. मेरा अपराध तो अक्षम्य है। Mero DDDDD बदलता Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैनासुन्दरी ने कहा पिताजी ! उपकार तो आपने मेरे ऊपर किया ही है। आपके ही कारण मुझे ऐसा पति मिला। नवपद की आराधना का रहस्य और सिद्धचक्र महायंत्र की प्राप्ति हुई। उसी आराधना /साधना से हमारे सब कष्टों का निवारण हुआ। इसलिए अब मैं आप सबसे एक प्रार्थना करती हूँ। in Education International ADV सिद्धचक्र का चमत्कार aanan अब आप गई बातें भुला दीजिए और अगले चैत्र मास में नवपेद ओली तप की आराधना करें। इससे सभी प्रकार के मन इच्छित सिद्ध होंगे.. 29 w Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धचक्र का चमत्कार प्रजापाल ने मैनासुन्दरी का वचन स्वीकार किया। दूसरे दिन राजा प्रजापाल बड़े समारोह के साथ श्रीपाल-मैनासुन्दरी को अपने राजभवन में ले आये। नवपद की आराधना का यह चमत्कार जिसने भी सुना वह धन्य-धन्य कहने लगा। HODA (evejoy CSITE XCG BANGO COगला/ DAILY 10 hrIOIRAL नवपद की आराधना के प्रभाव से श्रीपाल का कुष्ट रोग मिटना, अमित बल-वैभव-ऐश्वर्य की प्राप्ति होना इस कथा का एक अध्याय है। श्रीपाल-मैनासुन्दरी चरित्र के अनुसार आगे की विस्तृत कथा में श्रीपाल का राज-रामेश्वर बनना तथा अनेक रोचक रोमांचक चमत्कारी घटना प्रसंगों का वर्णन है। जो एक स्वतंत्र पुस्तक का विषय है। जिसे अगली पुस्तक में प्रकाशित करने का प्रयास किया जायेगा। 30 समाप्त Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सर्वलब्धिसंपन्नायी म. श्री गौतमगणधराय नमोनमः नद्राक्ली श्री अहं असिआउसा नाम) Eि बलयपरिचयPos C.अभदलबलयमा -अनाहतमम -स्व अमरापानी कोसलबनयमोन .राजसह स्थानने ८.परमेभिगो. विद्यालयमा t- माती नै - पिटी.. SY-आष्टाजपाडूम। बलयपरिचय BA-ऑपाययविगतम 1- fram :-अयोधीप्रो. -बिद्यादेबीजी.. Hey-यक्षिणी B-विकावा चारजगपालो। धारीयो. -स्थाने नामांओ. सदिसामरिक स MORE इन्द्राय नमा माणिभदाय नमः फमुदायनमा जस्था रियारकाम्पोनर PM पानी जमवतताण मामी याममा माण रमपुष्या acrossesssa 44AKAAL विमलेयायनमा Mpो विकल SR D COM LME silcateeutara Ssseshree 12SDDRESS YON NOK JAINMENNISR Jcccess . MJIMIRE 24tablisbe Months AstaJanarang पनि टीममा JabaRameseet अनि आचार्य PRISE EER AIYA मान sabnel FOTO WARN Agralias Jappsape SITA-REDTARAK. NCE 445344 17701 PARAN भोपासना pianRRA PlAmranthahto A alaces GaiM TV कामामामार 503 अपरित | पूज्यपकर पानास्मरणीय आचार्य १००८ श्रीमद् विजयमोहनसूरीश्वर पट्टालंकार परमपूज्य आचार्य श्रीमद् विजयप्रतापस्वीश्वर पट्टालंकार परमकृपालु पूज्य आचार्य विजयधर्मसूलीभ्वर पहालंकार पूज्य मुनिप्रवर श्री यशोविजयेन शाश्वत-महाप्रभावक श्रीसिद्धचक्रमहायन्त्रकमिदं अधावधिप्रकाशिनाप्रकाशितन्यस्यचित्रपथदिसामग्रीमधलम्ब्य यथानुभवं यथानुमति परंपरागताशुद्धीनिराकृत्य समालेश्वि॥ अचानक मानक्षी यशाविजय महाम्बाहमुंबई पूर्या चक्रमीयचतुर्दवाधिक दिसहस[२०१४)संवत्सर शुभभवतु चतुर्विधीसंघस्यापियापपादपूर्वानमिदमहायन्त्रसदाध्ययम्। बाकारमणिकशाहआई। Education International Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवपद आराधना विधि प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला सप्तमी से पूर्णिमा तथा आसोज शुक्ला सप्तमी से पूर्णिमा तक नवपद आराधना ओली तप किया जाता है। जिसकी संक्षिप्त विधि इस प्रकार है१. पहले दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो अरिहंताणं' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना १२, लोगस्स १२, णमोत्थुणं १२, खमासणा १२ का पाठ करें। २. दूसरे दिन गेहूँ का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो सिद्धाणं' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना ८, लोगस्स ८, णमोत्थुणं ८, खमासणा ८ का पाठ करें। ३. तीसरे दिन चने का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो आयरियाणं' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना ३६, लोगस्स ३६, णमोत्थुणं ३६, खमासणा ३६ का पाठ करें। ४. चौथे दिन मूंग का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो उवज्झायाणं' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना २५, लोगस्स २५, णमोत्थुणं २५, खमासणा २५ का पाठ करें। ५. पाँचवें दिन उड़द का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो लोए सव्व साहूणं' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना २७. लोगस्स २७, णमोत्थूणं २७, खमासणा २७ का पाठ करें। ६. छठे दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो णाणस्स' पद की २१ माला फेरें। साथ है ही-वंदना ५, लोगस्स ५, णमोत्थुणं ५, खमासणा ५ का पाठ करें। ७. सातवें दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो दंसणस्स' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना ८, लोगस्स ८, णमोत्थुणं ८, खमासणा ८ का पाठ करें। ८. आठवें दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो चरित्तस्स' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना १३, लोगस्स १३, णमोत्थुणं १३, खमासणा १३ का पाठ करें। ९. नौवें दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो तवस्स' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना १२, लोगस्स १२, णमोत्थुणं १२, खमासणा १२ का पाठ करें। एक वर्ष में दो बार (चैत्र तथा आसोज में) ओली तप करते हुए नव ओली में साढ़े चार वर्ष का समय लगता है जिसमें ८१ आयंबिल में नवपद ओली तप की आराधना सम्पन्न होती है। विशेष : अरिहंतों के १२ गुण, • सिद्ध भगवान के ८ गुण, • आचार्य भगवंत के ३६ गुण, • उपाध्यायजी के २५ गुण, . साधुजी के २७ गुण, • ज्ञान के ५ प्रकार, • दर्शन के ८ अंग, . चारित्र के १३ अंग, . तप के १२ प्रकार। ये सब १४६ गुण व प्रकार होने से १४६ वंदना तिक्खुत्तो के पद से की जाती है। Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्तर आपको ही योजना है... हम युग-युग से करुणा और अनुकम्पा की महिमा गाते आ रहे हैं, अहिंसा और दया का उद्घोष मुखर करते आ रहे हैं, महावीर और बुद्ध, नानक और गाँधी, मुहम्मद और ईसा की इबारतें सुनाकर अहिंसा, करुणा, प्रेम, भाईचारा और सेवा की पुकार करते आ रहे हैं ? परन्तु, शून्य में गूंजती आवाज़ की तरह हमारी सब आवाजें अर्थहीन हो रहीं हैं ! हिंसा, हत्याएँ, युद्ध, साम्प्रदायिक उन्माद, जातीय संघर्ष, भय एवं आतंक का जहर मानव को संवेदना शून्य बनाता जा रहा है। क्यों ? सोचे ! विचारे ! कहीं हमारी भूल, हमारी भोग-लिप्सा, हमारी स्वार्थवृत्ति, अज्ञान, उपेक्षा/ लापरवाही, जैसा चल रहा है, वैसा चलने देने की लच्चर मनोवृत्ति, हमें अपने कर्त्तव्य से, धर्म से, न्याय-नीति से, उत्तरदायित्व की भावना से भ्रष्ट तो नहीं कर रही है ? हम क्या कर रहे हैं ? और क्या करना चाहिए ? हिंसा की खूनी होली में हमारी कितनी भागीदारी हैं ? सोचिए, उत्तर आपको ही योजना है। TAGRA निवेदक : शाकाहार एवं व्यसनमुक्ति कार्यक्रम के सूत्रधाररतनलाल सी. बाफना ज्वेलर्स "नयनतारा", सुभाष चौक, जलगांव-४२५ 00१ फोन : २३९०३, २५९०३. २७३२२. २७२६८ नहाविश्वासहीपस्पर Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपाध्याय प्रवर पं. रत्न मुनि श्री कन्हैयालाल जी म. सा. "कमल" की प्रेरणा से स्थापित S ARDIMAN MAHAVIR KENDRA श्रीआदिनापामाजाश आलिया OFFICE LIEBE MADELEI सामान श्री वर्धमान महावीर केन्द्र, (आबू पर्वत) द्वारा संचालित प्रवृत्तियाँ :यात्रियों के लिए* सुरम्य प्राकृतिक वातावरण के मध्य सुन्दर सुविधापूर्ण आवास व्यवस्था * शुद्ध शाकाहारी भोजन व्यवस्था * प्रतिवर्ष चैत्र मास में आयंबिल ओली का विशेष आयोजन * होम्योपैथिक औषधालय * विशाल उच्चस्तरीय पुस्तकालय * जीव दया एवं मानव राहत कार्य संबन्धित संस्थाएँ1. श्री वर्धमान ध्यान साधना केन्द्र 2. श्री वर्धमान महावीर बाल निकेतन पधारिये :-मार्गदर्शन दीजिये, सहयोग कीजिए। श्री वर्धमान महावीर केन्द्र सब्जी मंडी के सामने, देलवाड़ा रोड़, आबू पर्वत-307 501 S.T.D.No. : 02974 Phone No. : 3566 Sounww.jainelibrary.org