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सिद्भचक्र का चमत्कार
मैनासुन्दरी ने कहा
बंधुओ ! यह सब भाव भक्तिपूर्वक की गई नवपद की आराधना और सिद्धचक्र का चमत्कार है। आप सब रोग-मुक्त हो गए। धन्य है
गुरुदेव की कृपा !!
उन व्यक्तियों ने मैनासुन्दरी से कहा
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बहन ! हम सबको नया जीवन मिला है, अब हमें
अपने-अपने घर जाकर । परिवार से मिलना चाहिए।
सभी 000 व्यक्ति अपने-अपने नगर की तरफ चले गये।
मैना-श्रीपाल वहीं उसी उद्यान में रहने लगे। श्रीपाल की माता कमलप्रभा भी घूमती-घूमती एक दिन उम्जयिनी के इसी उद्यान में आकर वृक्ष के नीचे बैठी थी कि श्रीपाल ने उसे पहचान लिया
अरे, यह तो मेरी माँ है। कितने वर्ष हो गये इनसे बिछुड़े हुये।
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