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सिद्भचक्र का चमत्कार अगले दिन मैनासुन्दरी प्रातः जल्दी उठ गई। पास ही जंगल से लकड़ियाँ लाई और अपने हाथ से भोजन बनाकर श्रीपाल को खिलाया। कोढ़ियों के नेता ने यह देखा तो गद्-गद् होकर बोला
धन्य है देवी ! तुम्हारे जैसी धर्मशीला पतिव्रताओं से ही संसार का कल्याण होगा।
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हाँ, अब तो हम अपने सब दुःख भूल गये और लगता है इस देवी के प्रताप से उम्बर राणा का ही नहीं, हमारा भी उद्धार हो
जायेगा...
नगर के जिस उद्यान के बाहर कोढ़ियों का दल ठहरा था, उसी उद्यान में एक तपस्वी ज्ञानी मुनिराज का आगमन हुआ। लोगों को आते-जाते देखकर मैना ने किसी पथिक से पूछा
भाई! आज उद्यान में इतनी भीड़ कहाँ जा
रही है?
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बहन, तुम्हें मालूम नहीं, एक बड़े ही ज्ञानी तपस्वी मुनिराज आये हैं। हम सभी उनके दर्शन करने जा रहे हैं?
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