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राजा
ने
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घूरकर देखा।
सिद्धचक्र का चमत्कार
मूर्ख जिद्दी बालिके ! देख अब तेरे कर्म क्या गुल खिलाते हैं...? यह तेरी तकदीर सामने खड़ी है इसी के साथ तेरा विवाह होगा...
'महाराज ! ऐसा अन्याय मत कीजिए। इस कोमल सुन्दर फूल सी कन्या को कीचड़ में मत फेंकिए।
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हाँ! महाराज ऐसा अनर्थ मत कीजिए।
कोलाहल सुनकर राजा ने उत्तेजित होकर कहा
शांत हो जाओ, मैं जो कर रहा हूँ। वह ठीक है इस मूर्ख कन्या के भाग्य का यही फैसला है.....
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राजा की बात सुनते ही सारी सभा स्तब्ध रह गई। यह खबर मैनासुन्दरी की माँ रानी रूपसुन्दरी तक पहुँची तो वह घबराई हुई राजदरबार में आयी और महाराज के पांव पकड़कर रोती हुई बोली
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राजदरबार में उपस्थित सभी व्यक्ति राजा को रोकने का प्रयास करने लगे।
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