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सिद्धचक्र का चमत्कार मैना माता की नफरत का कारण समझ गई। वह रूपसुन्दरी ने मैना से क्षमा माँगीउसे अपने घर पर ले आई। मैना के कहने पर रानी कमलप्रभा ने छपसुन्दरी को बताया
पुत्री ! मुझे माफ कर देना। तुझ
पर असत्य आरोप लगाया। यह मेरा पुत्र श्रीपाल है... चम्पा के महाराज सिंहस्थ का पुत्र। कोढ़ियों के संसर्ग से कुष्टरोग लग गया था,
नहीं माँ ! ऐसा तो किन्तु अब तुम्हारी पुत्री के भाग्य से
होता ही रहता है.... बिलकुल ठीक हो गया है।
तब तक मैनासुन्दरी के मामा राजा पुण्यपाल भी अपनी बहन रूपसुन्दरी को ढूँढ़ता हुआ वहाँ आ पहुँचा। मैना ने उसे पूरी घटना सुना दी। वह बोला
बेटी, जिस दिन से तुम घर से विदा हुई।
उसी दिन से तुम्हारी माँ राजमहल को त्यागकर मेरे यहाँ आ गई। यह तुम्हारी याद में आंसू बहाती रहती है। चलो बेटी, अब हम सब एक साथ महल में रहेंगे।
बेटी, आज मैं सब दुःख भूल गईहूँ किसी ने सच कहा है, दुःख की रात के बाद सुख का सूरज उगता ही है।
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पुण्यपाल सबको अपने महल में ले आया। 26
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