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सिद्रचक्र का चमत्कार इधर राजा प्रजापाल पुत्री के साथ किये एक दिन मन बहलाने के लिए राजा उद्यान भ्रमण करने निकले अन्याय पर रात-दिन पश्चात्ताप करते तो उद्यान के पास पुण्यपाल के महल की ओर ऊपर उनकी निगाह रहते थे। मैंने कितने पाप किये हैं? |
चली गई। महल के झरोखे में मैनासुन्दरी पति के साथ बैठी पुत्री और पत्नी को कितने
साहसी-मजाक करती दीखी। राजा प्रजापाल एकदम गंभीर हो गये। कष्ट दिये हैं...? रानी
यह क्या? मैना किसी रूपसुन्दरी भी घर
पराये राजकुमार के छोड़कर चली गई।
साथ बैठी है? छि:छि: मेरे कुल को डुबो दिया इसने...?
अनेक बुरे विचारों में उलझे उत्तेजित से हुए राजा प्रजापाल पुण्यपाल के भवन में आ धमके। और मैना को बुलाकर फटकारने लगे- मझे आशा नहीं थी कि मेरी बेटी ऐसी नीच
निकलेगी...? मैंने एक कुष्टी युवक के साथ। इसका विवाह किया था, परन्तु आज तो यह एक सुन्दर देवकुमार से पुरुष के साथ महलों में बैठी मनोरंजन कर रही है। धिक्कार है इसे....
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