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सिद्धचक्र का चमत्कार
राजकुमार को साथ लिए कोढियों का दल कई वर्षों तक जंगलों में घूमता रहा। एक दिन दल घूमता हुआ मालव प्रदेश की सीमा में पहुँच गया।
मालवा की राजधानी उज्जयिनी में उन दिनों राजा प्रजापाल राज्य करते थे। उनकी दो रानियाँ थीं, सौभाग्यसुन्दरी और रूपसुन्दरी । सौभाग्य सुन्दरी अहंकारी थी। उसकी पुत्री का नाम था सुरसुन्दरी । रूपसुन्दरी चतुर और धार्मिक स्वभाव की थी। उसकी कन्या का नाम था मैना सुन्दरी। राजा ने दोनों कन्याओं की शिक्षा के लिये एक कलाचार्य को नियुक्त किया हुआ था। एक दिन कलाचार्य दोनों कन्याओं को लेकर राजदरबार में उपस्थित हुए
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महाराज, आपकी आज्ञानुसार मैंने राजकुमारियों को साहित्य; संगीत-नृत्य आदि चौंसठ कलाओं में निपुण कर दिया है। आप चाहें तो इनकी परीक्षा ले सकते हैं।
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