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________________ नवपद आराधना विधि प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला सप्तमी से पूर्णिमा तथा आसोज शुक्ला सप्तमी से पूर्णिमा तक नवपद आराधना ओली तप किया जाता है। जिसकी संक्षिप्त विधि इस प्रकार है१. पहले दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो अरिहंताणं' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना १२, लोगस्स १२, णमोत्थुणं १२, खमासणा १२ का पाठ करें। २. दूसरे दिन गेहूँ का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो सिद्धाणं' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना ८, लोगस्स ८, णमोत्थुणं ८, खमासणा ८ का पाठ करें। ३. तीसरे दिन चने का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो आयरियाणं' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना ३६, लोगस्स ३६, णमोत्थुणं ३६, खमासणा ३६ का पाठ करें। ४. चौथे दिन मूंग का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो उवज्झायाणं' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना २५, लोगस्स २५, णमोत्थुणं २५, खमासणा २५ का पाठ करें। ५. पाँचवें दिन उड़द का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो लोए सव्व साहूणं' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना २७. लोगस्स २७, णमोत्थूणं २७, खमासणा २७ का पाठ करें। ६. छठे दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो णाणस्स' पद की २१ माला फेरें। साथ है ही-वंदना ५, लोगस्स ५, णमोत्थुणं ५, खमासणा ५ का पाठ करें। ७. सातवें दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो दंसणस्स' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना ८, लोगस्स ८, णमोत्थुणं ८, खमासणा ८ का पाठ करें। ८. आठवें दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो चरित्तस्स' पद की २१ माला फेरें। ही-वंदना १३, लोगस्स १३, णमोत्थुणं १३, खमासणा १३ का पाठ करें। ९. नौवें दिन चावल का आयंबिल करके ॐ ह्रीं श्रीं ‘णमो तवस्स' पद की २१ माला फेरें। साथ ही-वंदना १२, लोगस्स १२, णमोत्थुणं १२, खमासणा १२ का पाठ करें। एक वर्ष में दो बार (चैत्र तथा आसोज में) ओली तप करते हुए नव ओली में साढ़े चार वर्ष का समय लगता है जिसमें ८१ आयंबिल में नवपद ओली तप की आराधना सम्पन्न होती है। विशेष : अरिहंतों के १२ गुण, • सिद्ध भगवान के ८ गुण, • आचार्य भगवंत के ३६ गुण, • उपाध्यायजी के २५ गुण, . साधुजी के २७ गुण, • ज्ञान के ५ प्रकार, • दर्शन के ८ अंग, . चारित्र के १३ अंग, . तप के १२ प्रकार। ये सब १४६ गुण व प्रकार होने से १४६ वंदना तिक्खुत्तो के पद से की जाती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002812
Book TitleSiddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size20 MB
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