Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013 Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 26
________________ सिद्रचक्र का चमत्कार Dur مل کر श्रीपाल पास पहुँचकर अपनी माँ के चरणों में लिपट गया। कमलप्रभा अचकचा गई। la माँ ! कहाँ चली गई थीं तुम मुझे छोड़कर...? माँ ! मैं आपका पुत्र बेटा ! तुम कौन हो? VAATAWAN श्रीपाल ! और यह है आपकी बहू मैना.... ५ 2014 Mon: LE 384 AMPA -LA मेरा बेटा श्रीपाल ! यह सब क्या देख रही हूँ मैं... तुम बिल्कुल ठीक हो गये.... कैसे हुए.....? ar माँ! यह सब इस देवी की श्रद्धा, भक्ति और शील का चमत्कार है.....A 11/मैनासुन्दरी ने भी माता के चरण छूए। कमल प्रभा ने दोनों को हृदय से लगा लिया। बहुत देर तक एक-दूसरे को अपनी-अपनी आत्म-कथा सुनाते रहे। कमलप्रभा उसी उद्यान में श्रीपाल-मैनासुन्दरी के साथ रहने लगी। 24 Jan Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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