Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013 Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 30
________________ सिद्भचक्र का चमत्कार राजा की बातें सुनकर सभी मुस्कराने लगे। पुण्यपाल ने कहा महाराज ! यह आप क्या कह रहे हैं? यह पर-पुरुष नहीं, किन्तु वही कोढ़ी उम्बर राणा है, जो वास्तव में चम्पानगरी के राजा सिंहस्थ का पुत्र श्रीपाल है! रावा हैं...। सच...? यह । सब क्या रहस्य है? A मैनासुन्दरी ने उन्हें पूरी घटना सुनाकर कहा- मैनासुन्दरी के वचन सुनकर राजा की आँखों से पिताजी ! आप यदि इनके हाथ में हर्ष के आँसू बहने लगे। मेरा हाथ नहीं देते तो यह सब कैसे बेटी, तू महान् है, जो पिता होता? धर्म के प्रभाव से तकदीर की के अन्याय को भी उपकार तस्वीर बदलते क्या देर लगती है...? मान रही है.. मेरा अपराध तो अक्षम्य है। Mero DDDDD बदलता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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