Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013
Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

Previous | Next

Page 35
________________ उत्तर आपको ही योजना है... हम युग-युग से करुणा और अनुकम्पा की महिमा गाते आ रहे हैं, अहिंसा और दया का उद्घोष मुखर करते आ रहे हैं, महावीर और बुद्ध, नानक और गाँधी, मुहम्मद और ईसा की इबारतें सुनाकर अहिंसा, करुणा, प्रेम, भाईचारा और सेवा की पुकार करते आ रहे हैं ? परन्तु, शून्य में गूंजती आवाज़ की तरह हमारी सब आवाजें अर्थहीन हो रहीं हैं ! हिंसा, हत्याएँ, युद्ध, साम्प्रदायिक उन्माद, जातीय संघर्ष, भय एवं आतंक का जहर मानव को संवेदना शून्य बनाता जा रहा है। क्यों ? सोचे ! विचारे ! कहीं हमारी भूल, हमारी भोग-लिप्सा, हमारी स्वार्थवृत्ति, अज्ञान, उपेक्षा/ लापरवाही, जैसा चल रहा है, वैसा चलने देने की लच्चर मनोवृत्ति, हमें अपने कर्त्तव्य से, धर्म से, न्याय-नीति से, उत्तरदायित्व की भावना से भ्रष्ट तो नहीं कर रही है ? हम क्या कर रहे हैं ? और क्या करना चाहिए ? हिंसा की खूनी होली में हमारी कितनी भागीदारी हैं ? सोचिए, उत्तर आपको ही योजना है। TAGRA निवेदक : शाकाहार एवं व्यसनमुक्ति कार्यक्रम के सूत्रधाररतनलाल सी. बाफना ज्वेलर्स "नयनतारा", सुभाष चौक, जलगांव-४२५ 00१ फोन : २३९०३, २५९०३. २७३२२. २७२६८ नहाविश्वासहीपस्पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36