Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013
Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 32
________________ सिद्धचक्र का चमत्कार प्रजापाल ने मैनासुन्दरी का वचन स्वीकार किया। दूसरे दिन राजा प्रजापाल बड़े समारोह के साथ श्रीपाल-मैनासुन्दरी को अपने राजभवन में ले आये। नवपद की आराधना का यह चमत्कार जिसने भी सुना वह धन्य-धन्य कहने लगा। HODA (evejoy CSITE XCG BANGO COगला/ DAILY 10 hrIOIRAL नवपद की आराधना के प्रभाव से श्रीपाल का कुष्ट रोग मिटना, अमित बल-वैभव-ऐश्वर्य की प्राप्ति होना इस कथा का एक अध्याय है। श्रीपाल-मैनासुन्दरी चरित्र के अनुसार आगे की विस्तृत कथा में श्रीपाल का राज-रामेश्वर बनना तथा अनेक रोचक रोमांचक चमत्कारी घटना प्रसंगों का वर्णन है। जो एक स्वतंत्र पुस्तक का विषय है। जिसे अगली पुस्तक में प्रकाशित करने का प्रयास किया जायेगा। 30 समाप्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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