Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013 Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 20
________________ सिद्भचक्र का चमत्कार श्रीपाल की आँखें भर आईं। देवी ! तुम कितनी महान हो। मेरा मन कहता है, तुम्हारी छाया पड़ते ही अब मेरे कष्ट दूर हो जायेंगे। मैना अपने आँचल से आँसू पोंछते हुए बोली मैना और श्रीपाल रातभर सुख-दुःख की बातें करते रहे। श्रीपाल को नींद लग गई तो मैना सोचती रही। पिताजी ने जो कुछ किया है, वह तो मेरे ही कर्मों की प्रेरणा से हुआ है। अब मैं कुछ ऐसा धर्म कृत्य करूं कि अशुभ कर्मों की काली घटा हटे और शुभ कर्मों का सूर्य उदय हो... यदि हमारे भाग्य में सुख लिखा है तो दुःख की यह काली रात जल्दी ही बीत जायेगी... हमें कुछ धर्म आराधना करनी चाहिए। 18 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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