Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013 Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 15
________________ यह सुनते ही राजा चौंक गया। सिद्धचक्र का चमत्कार उस अहंकारी और जिद्दी कन्या के "भाग्य में शायद यही पति लिखा है, इसे अब पता चलेगा, सुख-दुःख राजा देता है, या कर्म ! Jain Education International OT क्या कहा.... रानी ? इस कोढी को कौन पिता अपनी कन्या देगा...? अपनी प्रशंसा सुनकर राजा प्रजापाल का अहंकार प्रजापाल जाग उठा। उसे मैनासुन्दरी का ध्यान आ गया। ლეი Downl महाराज की जय हो ! 13 महाराज ! आप जैसे दानवीर कर्ण के अवतार किसी को निराश नहीं करते। हम तो इसी आशा से आपके नगर में आये हैं.. ने कुछ 'देर सोचा, फिर कोढियों के नेता से बोला ठीक है ! हम तुम्हें रानी भी देंगे... अपने दूल्हे को सजाकर कल राजसभा में ले आओ। For Private & Personal Use Only m 02 wom MB Com www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36