Book Title: Siddhachakra ka Chamatkar Diwakar Chitrakatha 013
Author(s): Vinaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 17
________________ राजा ने 220 घूरकर देखा। सिद्धचक्र का चमत्कार मूर्ख जिद्दी बालिके ! देख अब तेरे कर्म क्या गुल खिलाते हैं...? यह तेरी तकदीर सामने खड़ी है इसी के साथ तेरा विवाह होगा... 'महाराज ! ऐसा अन्याय मत कीजिए। इस कोमल सुन्दर फूल सी कन्या को कीचड़ में मत फेंकिए। 000 हाँ! महाराज ऐसा अनर्थ मत कीजिए। कोलाहल सुनकर राजा ने उत्तेजित होकर कहा शांत हो जाओ, मैं जो कर रहा हूँ। वह ठीक है इस मूर्ख कन्या के भाग्य का यही फैसला है..... Juane www राजा की बात सुनते ही सारी सभा स्तब्ध रह गई। यह खबर मैनासुन्दरी की माँ रानी रूपसुन्दरी तक पहुँची तो वह घबराई हुई राजदरबार में आयी और महाराज के पांव पकड़कर रोती हुई बोली ממרב, राजदरबार में उपस्थित सभी व्यक्ति राजा को रोकने का प्रयास करने लगे। 15 For Private & Personal Use Only ww GO www.jainelibrary org

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