Book Title: Shrutsagar Ank 2014 01 036 Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४ जनवरी २०१४ विक्रमनुं २०७०नुं वर्ष पू. आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. नी आचार्य पद शताब्दी अने आचार्य श्री कैलाससागरसूरि म. सा. नी जन्म शताब्दीनुं वर्ष छे. डॉ. श्री रेणुकाजी पोरवाले योगनिष्ठ श्रीमद्ना गुणोथी आकर्षाईने लखेल लेख 'योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी महाराजनुं शिक्षण अने साहित्य जगतमां योगदान' आ अंकमां प्रकाशित कर्यो छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भावना छे के दर अंके पूज्य गुरुदेवश्रीना गौरववंता साहित्यने विशेष रीते रजू करी आपश्री समक्ष वाचन माटे मूकता रहेवुं. आपश्री पण आ कार्यमा लेख / कृति विगेरे पाठवी, पूज्य गुरुदेवश्री प्रत्येना उपकारोने अभिव्यक्त करी शको छो. तीर्थ परिचय अंतर्गत श्री अवंतितीर्थनो परिचय आ अंकमा प्रकाशित कर्यो छे. तीर्थनी सामान्य ऐतिहासिक विगतो आ लेखना माध्यमे प्रकाशित थई छे, तो साथे-साथे भारतीय परंपराना षड्दर्शनों पैकीना योगदर्शन अने एना सिद्धांतो उपर परामर्शपूर्ण लेख 'योगदर्शन एक अभ्यास' आ अंकमा प्रकाशित कर्यो छे. योगदर्शन अने एनी मान्यताओनुं विशेषे करीने आ लेखमांथी अवलोकन करी शकाय छे. निःस्पृहता-निर्लिप्तता-निर्विकारता ये आपके अंतर के गुण थे। जीवन में कभी किसी की निंदा नहीं की, हमेशा गुणोंकी अनुमोदना करते रहे, अपने जीवनकाल में अनेक शासनप्रभावना के कार्य सफलता पूर्वक संपन्न किये। आप संयम-जीवन में अप्रमत साधक रहे। परम वंदनीय श्री सीमंधरस्वामी परमात्मा के परम उपासक, गीतार्थ गच्छनायक-पूज्य आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरजी महाराजा के संयम-जीवन ७६ वर्ष के उपलक्ष में अनंतश: वंदना... गुरुकृपा परिवार की वंदना. For Private and Personal Use Only -Page Navigation
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