Book Title: Shrutsagar Ank 2014 01 036
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पद्ममेरुशिष्य कृत आदि जिन स्तवन श्रीमती प्रज्ञाबेन संघवी स्तवन एटले भक्ति अने साहित्यनो सुगम समन्वय. स्तवना, स्तुति, स्तवन विगेरे परमात्मा प्रत्येनी अविहड प्रीती ने व्यक्त करता रचना प्रकारो छे. साहित्यमां प्रायः करीने जोवा न मळे एटला प्रमाणमां बहोळा प्रमाणमां आ प्रकारनी रचनाओ उपलब्ध थाय छे तो ए रचनाओमां मळता वैविध्यने पण नोंध पात्र गणी शकाय एम छे. · " आ प्रकारनी रचनाओ परमात्मानी स्तवना के गुणप्रीति ने केंद्रमां राखीने थती होवा छतां एमां चरित्र, तत्त्व, सिद्धांत, उपदेश, अने दर्शन जेवा केटलाय असरकारक बोधतत्त्वोनो पण समावेश करी लेवामां आवतो होय छे अने एना कारणे ज कवि अने कृति साहित्यनी आगवी हरोळमां पोतानुं स्थान धरावे छे. आ वातना केटलाय उदाहरणो साहित्यमां विशेषे करीने जोवा मळे ज छे. आवी ज एक रचना पद्ममेरुशिष्य कृत आदि जिन स्तवन अत्रे प्रस्तुत छे. कुल २५ कडीमां रचायेलां आ लघु स्तवनमां वर्तमान चोवीशीना प्रथम जिनेश्वर श्री आदिश्वर भगवानना जीवन चरित्रने वणी लेवामां आव्युं छे. कविए प्रथम कडीमां जिनेश्वर भगवंत अने सद्गुरुने नमस्कार करी, प्रथम जिनेश्वरनी स्तवना करवानी वात करी छे. तो ए ज प्रमाणे कविए स्तवन पूर्ण कर्या बाद छल्ली पच्चीशमी कडीमां प्रथम जिननी स्तवना करता थयेला आनंद ने शब्दमां उतार्यो छे. रचना अने स्तवनाना परिणाम स्वरूपे कवि प्रभु ने प्रार्थना करे छे के हे विमलाचलमंडण आदि जिन! तमारी स्तवनाना प्रभावे अमने निरंतर सम्यक् ज्ञानसंपदानी प्राप्ति अने अभिवृद्धि थाओ' बीजी कडीमां परमात्माना पूर्वभवनी शरू थयेली कथा चोवीशमी कडीमां भगवानना निर्वाणथी समाप्त थाय छे. प्रभुना दरेक भवनुं आयुष्य, जन्मस्थान, गति, देशना, विहार विगेरे मुख्य- मुख्य नोंधपात्र विगतोने कविए कृतिमां स्थान आप्युं छे. अने ए ज विगतो एकंदरे कृतिनी विशेषता जणाय छे. कविए वर्णनमा प्रयोजेला उपमा अलंकार विगेरे कृति ने रसाळ बनावे छे, तेमज कविनी प्रतिभा अने भावसंमृद्धि एमां जणाई आवे छे. For Private and Personal Use Only कविए कृतिनी केटलीक कडीओ भास, विवाहला, फाग विगेरे छंदमां प्रयुक्त करी छे. आ स्तवननी ओगणीश जेटली कडीओ भासमां निर्दिष्ट होवाथी आ कृतिने आदि जिन भास पण कही शकाय एम छे. भासनी समकक्ष गणी शकाय वी आकृतिनो स्वाध्याय करवा जेवो छे.

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