Book Title: Shrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR December-2018 संपादकीय रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह नूतन अंक आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हमें असीम प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस अंक में गुरुवाणी शीर्षक के अन्तर्गत योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृति “आध्यात्मिक पदो” की गाथा ८० से ९२ तक प्रकाशित की जा रही हैं। इस कृति के माध्यम से साधारण जीवों को आध्यात्मिक उपदेश देते हुए अहिंसा, सत्यपालन, आहारादि से संबंधित प्रतिबोध कराने का प्रयत्न किया गया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के प्रवचनों की पुस्तक Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन किया गया है। अप्रकाशित कृति के रूप में सर्वप्रथम गणिवर्य श्री सुयशचन्द्रविजयजी म. सा. के द्वारा सम्पादित “पंचंगुलीमहामन्त्रमय स्तोत्र” प्रकाशित किया जा रहा है। कल ३७ गाथाओं में रचित इस कृति में सीमंधरस्वामी की अधिष्ठायिका पंचांगुली देवी का माहात्म्य तथा उनकी आराधना के द्वारा प्राप्त होनेवाले इहलौकिक सुखों का वर्णन किया गया है। द्वितीय कति के रूप में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर के कार्यकर्ता पं. श्री गजेन्द्रभाई शाह के द्वारा सम्पादित “मौन एकादशी १५० जिनकल्याणक स्तवन” प्रकाशित किया जा रहा है। इसके कर्ता श्री दयाकुशल गणि ने इस कृति की कुल ४७ गाथाओं के माध्यम से मौन एकादशी पर्व की महिमा का सुन्दर वर्णन करते हुए यह स्पष्ट किया है कि मौन, साधक की आध्यात्मिक व अचिन्त्य शक्तियों को जाग्रत करने का एक श्रेष्ठ साधन है। पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में बुद्धिप्रकाश, पुस्तक ८२ के प्रथम अंक में प्रकाशित “सोलमा शतकनी गुजराती भाषा" नामक लेख का गतांक से आगे का भाग प्रकाशित किया जा रहा है। इस लेख के माध्यम से सोलहवीं सदी की रचनाओं में प्रचलित गुजराती भाषा के स्वरूप तथा उच्चारणभेद का वर्णन किया गया है। ___ अन्त में मुनि श्री धर्मरत्नविजयजी म. सा. द्वारा सम्पादित “अर्हन्नामसहस्रकम्" पुस्तक की समीक्षा प्रकाशित की जा रही है। हम यह आशा करते हैं कि इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक अवश्य लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे आगामी अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use Only

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