________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
19
SHRUTSAGAR
December-2018 की पद्धति स्तुत्य है। उसमें उन्होंने सर्वप्रथम जाप के पद, क्रमांक के साथ बताए हैं। तत्पश्चात् कृति में विविध क्षेत्रों के तीनों काल के जिनेश्वरों के नाम दर्शाते हुए उन नामों के साथ नाथाय नमः' या 'सर्वज्ञाय नमः' जैसे पद न देकर पद क्रमांक का ही उल्लेख किया है, जिससे विषय संक्षिप्त तो हआ ही साथ-साथ नाम व जापपद समझने में आसानी भी हो गई। जाप हेतु पदों का क्रम निम्न प्रकार है
सर्वज्ञाय पहिलइ पदिइं, बीजइ अह्रार्ह)ते नाम । नमो नाथाय त्रीजइ कहुं, चउथइ सर्वज्ञ ठाम ॥३॥ नाथाय वली पंचमइ, जाप अनुक्रम एह। प्रथम जंबुद्वीप भरतना, अतीत जिन कहुं तेह ॥४॥
१५० जिनेश्वरों के जाप, पाँच पदों में करने को कहा गया है। उसमें प्रथम पद में भगवान के नाम के पीछे सर्वज्ञाय' पद जोड़कर जाप करने की बात है। दूसरे में 'अर्हते, तीसरे में नाथाय, चौथे में सर्वज्ञाय' और पाँचवे में पुनः ‘नाथाय' पद जोड़कर जाप करने का विधान किया गया है। जिस भगवान के साथ जिस पद क्रमांक का निर्देश किया गया हो, उस क्रमांक का पद जोड़कर जाप करना चाहिए। कई जगह कर्ता ने नाम के साथ क्रमांक नहीं भी दिया है, वहाँ भगवान के नाम के साथ 'जिन' शब्द से पहले पद सर्वज्ञाय' का संकेत व 'शिवसुख' जैसे शब्दों से 'नाथाय' पद के ग्रहण का संकेत हो सकता है। जिस जिनेश्वर का तीन पदों में जाप करना है, वहाँ नाम के साथ त्रिणि' या 'निहुँ' जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। यथा
श्रीय महाजस जिन जपो, श्रीय सर्वानुभूति। त्रिहुं पदे जाप एहनो, पंचमइ श्रीधर थुत्ति ॥५॥
यहाँ महाजस' जिनेश्वर के साथ क्रमांक का निर्देश नहीं है। लेकिन जिन जपो' से ही प्रथम क्रमांक के पद 'सर्वज्ञाय नमः' के जाप हेतु संकेत दिया गया हो सकता है, क्योंकि इस तीर्थंकर के साथ इसी पद का प्रयोग किया जाता है। उसके बाद गाथा में सर्वानुभूति' भगवान के नाम के साथ लिहुं पदे जाप एहनो' लिखा है। इसका अर्थ है, प्रथम के तीन पद के साथ इस भगवान का जाप करना है, यथा- 'श्रीसर्वानुभूति सर्वज्ञाय नमः, श्रीसर्वानुभूति अर्हते नमः, श्रीसर्वानुभूति नाथाय नमः' । 'श्रीधर' प्रभु हेतु पंचमई लिखा है। पाँचवा पद 'नाथाय' का है। अर्थात् यहाँ श्रीधर नाथाय नमः' का जाप करना है। इस प्रकार सम्पूर्ण कृति में जाप क्रम समझ लेना है।
जापक्रम बताकर कर्ता द्वारा मौन एकादशी दिन हुए कल्याणक वाले १० क्षेत्रों
For Private and Personal Use Only