Book Title: Shrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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॥२०॥
श्रुतसागर
दिसम्बर-२०१८ श्रीजिनवंदीइ रे, जिम लहीइ कोडि कल्याण । परमपद पामइं ते भाविइं भविजना रे, जे पालई जिन आण श्रीजि0 ॥१६॥ श्री प्रयच्छ जिन वरतमान चउवीसीई रे, वार त्रिण्णि अक्षोभ । मलयसिंह पछइ अनागत जिन थुगुं रे, श्री दिनरुक दिइ थोभ श्रीजि0 ॥१७॥ त्रिण्णि पदिइं श्रीजिन धनद जापिइं जपो रे, श्रीपौष नमुं पाय। पुष्करद्वीपिइं पश्चिम भरतिइं जिन धुंणुं रे, अतीत चउवीसी भाय श्रीजि0 ॥१८॥
॥ मंगल कमला कंद, ए ढाल ॥ श्रीप्रलंब प्रभु हुं भणुं ए, चारित्रनिधि पदि त्रिहुं थुगुं ए। प्रशमराजित जिन नाम ए, वरतमान चउवी ठाम ए
॥१९॥ श्रीस्वामि जिनराजीउ ए, विपरीत त्रिहुं पदि गाजीउ ए। श्रीअ प्रसाद जिन हुं थुगुं ए, अनागत चउवीसी ते भणुं ए श्रीअ अघटित जिनभाण ए, भ्रमणेन्द्र ज त्रिण्णि ठाण ए। श्रीअ ऋषभचंद्र सुखकंद ए, जे आपइ परिमाणंद ए
॥२१॥ वली जंबूद्वीपिइं जिन कहुं ए, ऐरवतक्षेत्रइं जिम सुख लहुं ए। अतीत चउवीसी जे कहीए, श्रीदयांत जिनजी सही ए त्रिणि पदि अभिनंदन नमुंए, रत्नेश जिन चरणे रमुंए। वरतमान चउवीसी संभारीइ ए, श्रीश्यामकोष्ट जिन सुख दीइ ए मरुदेवी त्रिण्णि वार ए, अतिपार्श्व दिइ भवपार ए। अनागत चउवीसी संभारीइ ए, श्रीनंदिषेण जुहारीइ ए व्रतधर जिनवर त्रिहुं पदिई ए, निरवाण जिन सुखसंपदिइं ए। धातकीखंड पूरवदिशिइं ए, ऐरवति अती चउवीसीइं ए
॥नयर द्वारावती जाणीइ, ए ढाल ॥ तिहां तणा जिन सही \j, सौंदर्य जिनेश। त्रिविक्रम पदि त्रिहुं जपो, नारसिंह पभणेश ए उत्तम एकादशी, मागशिर सुदि जेह। जनम दीक्षानइ नाण तिहां, आराधो तेह
ए उत्तम० ॥२७॥
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॥२६॥
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