Book Title: Shrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
10
श्रुतसागर
दिसम्बर-२०१८ पंचंगुलिमहामंत्रमयं स्तोत्रम्
गणिवर्य श्री सुयशचन्द्रविजयजी प्रस्तुत कृति सीमंधरस्वामीजीना शासननी अधिष्ठायिका “देवी पंचागुलि”ना महात्म्यने दर्शावतु मारुगुर्जर भाषानुं लघु काव्य(स्तोत्र) छे। कविए अहिं देवीना वंदन-पूजनादि द्वारा प्राप्त थता ईहलौकिक सुखोना वर्णननी वात विस्तृत स्वरूपे करी छे, तो वळी साथे-साथे देवीना नारी सहज, विशिष्ट देहलावण्यनी वर्णना द्वारा पण काव्यनी रसाळतामां उमेरो कर्यो छे। बीजी रीते जोइए तो कविए पंचांगुलिदेवीना मंत्र पदो ने अहीं गर्भित रीते गुंथी काढ्यानुं जणाय छे. कवितुं नाम ‘हरख होवार्नु काव्यांतमां जणावायु छे पण आ नामथी विद्वान तरीके मुनि के श्रावक बे मांथी कोने ग्रहण करवा ते अस्पष्ट रहे छे । जो के काव्यनी रसाळता, शब्दलालित्य कविना मुनि होवापणा पर विशेष भार मूके छे । कृतिना रचना वर्ष संदर्भे कोई विवरण प्राप्त थतुं नथी। आ कृतिनी सौथी जुनी प्रत १८मी पूर्वार्धनी प्राप्त थाय छे । आना आधारे १८मी सदी पहेलानी रचना होवानुं अनुमान करी शकाय।
प्रान्ते संपादनार्थ प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रत zerox आपवा बद्ल श्रीनेमि-विज्ञानकस्तूरसूरि ज्ञानमंदिर (सुरत)ना व्यवस्थापकोनो तेमज आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर(कोबा)ना व्यवस्थापकोनो खूब खूब आभार ।
॥ श्री गुरुभ्यो नमः॥ सामी सिरिमंधर पय नमेवि, हुं वन्निसु तस सासणा(ण)-देवि, पंचंगुलि मंगुल तणुं मूल, सुर सेवित सेवित सानुकूल
॥१॥ पुहविं-परसिद्ध ते पुरुष धिन्न, जेहनई पंचंगुलि सुप्रसन्न, तेहनइं घरि मणि माणिक सुवन्न, धण कण कोठार अखूट अन्न ताहरइ चरणि जस रहइ मन्न, तेहनइ सयंवरि वरइ कन्न, ते करइ अवनि अनिवार' पुन्न, दुज्जण नवि काढइ कोई कन्न मनमाहिं धरइ जे खरी खंति, ताहरूं नाम जे नर जपंति, ते तणा चाड दे संति अंति, वली पिसुण कोडि पयमाल ३ हुंति ॥४॥ १. मंगळ, २. चरणमां, ३. स्वयंवरमां, ४. कन्या, ५. घj, ६. दुर्जन, ७. क्षति, कान पकडवो ?, ८. उमंग, ९. तेह, १०. जरूरत, ११. शांति, १२. दुष्ट, १३. खुवार,
॥२॥
॥३॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36