Book Title: Shrutsagar 2018 07 Volume 05 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह नूतन अंक आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हमें अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस अंक में गुरुवाणी के अन्तर्गत योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृति “आध्यात्मिक पदो” की गाथा ३६ से ४१ तक प्रकाशित की जा रही है। इस कृति के माध्यम से साधारण जीवों को प्रतिबोध कराने का प्रयत्न किया गया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रवचनों की पुस्तक 'Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन किया गया है। अप्रकाशित कृति के अंतर्गत इस अंक में गणिवर्य श्री सुयशचन्द्रविजयजी म.सा. के द्वारा सम्पादित दो कृतियाँ प्रकाशित की जा रही हैं, ये दोनों कृतियाँ अद्यावधि प्रायः अप्रकाशित हैं। प्रथम कृति “केशरीयाजी तीर्थमंडन श्री आदिजिन स्तवन” नामक १७ गाथाओं की लघु कृति है। इस कृति के माध्यम से कवि विनयसागरसूरिजी ने केशरियाजी तीर्थ का इतिहास व परिचय प्रस्तुत किया है। द्वितीय कृति के रूप में “कल्याणमंदिर स्तोत्रनी पादपर्तिओ" प्रकाशित की जा रही है। इसमें प्रकाशित कल्याणमन्दिर की तीनों पादपूर्तियाँ संस्कृत स्तोत्र साहित्य की विशिष्ट उपलब्धि कही जा सकती है। इनमें से प्रथम दो कृतियाँ पार्श्वनाथ प्रभु की और अजितनाथ भगवान की स्तवनारूप रचना है तथा तीसरी कृति लोंकागच्छीय ऋषि केशवजी के जीवनचरित्र पर प्रकाश डालती है। तीसरी कृति एक साम्प्रदायिक रचना होते हुए भी कवि ने इसमें किसी भी प्रकार की साम्प्रदायिक चर्चा, स्वोत्कर्ष या परनिंदा को स्थान नहीं दिया है। बल्कि स्वगुरुस्तुति का आलम्बन करते हुए गुरुतत्त्व को प्रकाशित करने का सुन्दर प्रयत्न किया है। भविष्य में भी ऐसी कृतियाँ विद्वानों की ओर से मिलती रहे, यह आशा है। पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में “वडोदरानरेशनो जैन साहित्यप्रेम" प्रकाशित किया जा रहा है, महाराज सयाजीराव गायकवाड के द्वारा जैन इतिहास, साहित्य, तत्त्वज्ञान आदि से सम्बन्धित संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं में प्रकाशित ग्रन्थों का उल्लेख किया गया है। इस लेख के द्वारा महाराज सयाजीराव गायकवाड का जैन साहित्य के क्षेत्र में किए गए महत्त्वपूर्ण कार्यों का परिचय प्राप्त होता है। ___आशा है, इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक अधिकाधिक लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे अगले अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use Only

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